आमतौर पर करन जौहर लव स्टोरीज बनाते हैं लेकिन इस बार फिल्म मॉय नेम इज खान के जरिए उन्होंने कुछ हटकर करने की कोशिश की है। संवेदनाओं में रची-बसी फिल्म आम आदमी की जीत दिखाती है। रिजवान (शाहरुख खान) के किरदार को खास बनाने के लिए करन ने काफी मेहनत की है। ऑनस्क्रीन शाहरूख और काजोल ने हमेशा की तरह अपना बेहतरीन दिया हैं, हालांकि शाहरुख के हिस्से में ज्यादा बेहतर सीन आए हैं। काजोल का किरदार थोड़ा फीका नजर आता है। फिल्म की कहानी रिजवान खान नाम के एक ऐसे लड़के की है जो ऑटिज्म से पीड़ित है, उसकी कुछ बातें उसे सामान्य इंसान से अलग करती है, लेकिन कई सारी खूबियां उसे खास भी बनाती हैं। रिजवान मंदिरा से प्यार करता है, जबकि मंदिरा का पहले से एक बेटा है। फिल्म में फ्लैशबैक का अहम स्थान है। बचपन में ही घिनौने आतंक से दो चार हो चुका रिजवान अपने भाई जिमी शेरगिल और प्रेमिका मंदिरा के अलावा मां ( जरीन वहाब ) के साथ एक खास बांडिंग रखता है। रिजवान बचपन में बंबई दंगों और फिर बड़े होकर अमेरिका में 26 / 11 हमले से प्रभावित हुआ है और वह अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें ये बताना चाहता है कि हां उसका सरनेम खान