कल नारी जीवन की एक कहानी सुनी ! उसी की कहानी उसी की जुबानी सुनी ! ३० साल जिसने उस घर को संजोने मै लगाया ! आज उसी घर को छोड़ने का उसने मन बनाया ! खटी- मीठी यादे उसे इतने लम्बे समय तक रोके तो रही पर उसे बेइंतहा दर्द भी देती रही ! सबने अलग अलग ठंग से उसका प्यार तो लिया ! पर उसकी झोली मै तो हर पल दर्द ही दिया ! घर से निकलते वक़्त भी आंसुओ ने उसका दामन न छोड़ा ! क्युकी उस वक़्त भी उसे उसी घर का ख्याल आया ! कितना समर्पण है नारी शक्ति मै , इतना दर्द आँचल मै समेटे रहती है ! फिर भी हर पल प्यार बाँटती फिरती है ! काश इसको कोई समझ सकता ! तो इसका भी दामन खुशियों से भर जाता !