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Showing posts from February 9, 2011
कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे । बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से
चेन ने लूटा चैन ! भारतीय नारी का जीवन अनेकों बंधनों से बंधा है.उन्ही बंधनों में से एक बंधन है सोने से जुड़ा उसके सुहाग का जीवन .मंगलसूत्र का सोने का होना नारी का सुहाग बचाता है भले ही उस मंगलसूत्र को बचाने में कोई भी हादसा घट जाये.आये दिन महिलाओं की सोने की चैन लुट रही हैं लेकिन चैन पहनने वाली महिलाओं की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है.भला सोने की चैन ही अगर सुहाग की रक्षा करती है तो उन महिलाओं के सुहाग की रक्षा कैसे होती है जिनके पति पर उन्हें सोने की चैन पहनाने के पैसे नहीं.इन अंधविश्वासों से भारतीये नारी जितनी जल्दी अपने को दूर हटा लेगी उतनी ही जल्दी विकास की रह पर आगे बढ़ सकेगी.