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Showing posts from January 22, 2010

ग़ज़ल बहुत हैं मन में लेकिन फिर भी कम -संजीव 'सलिल'

ग़ज़ल संजीव 'सलिल' बहुत हैं मन में लेकिन फिर भी कम अरमान हैं प्यारे. पुरोहित हौसले हैं मंजिलें जजमान हैं प्यारे.. लिये हम आरसी को आरसी में आरसी देखें. हमें यह लग रहा है खुद से ही अनजान हैं प्यारे.. तुम्हारे नेह के नाते न कोई तोड़ पायेगा. दिले-नादां को लगते हिटलरी फरमान हैं प्यारे.. छुरों ने पीठ को घायल किया जब भी तभी देखा- 'सलिल' पर दोस्तों के अनगिनत अहसान हैं प्यारे.. जो दाना होने का दावा रहा करता हमेशा से. 'सलिल' से ज्यादा कोई भी नहीं नादान है प्यारे.. ********************************

लो क सं घ र्ष !: डी.आई.जी पुलिस की जवाँमर्दगी

राजधानी लखनऊ में प्रदेश के राज्य कर्मचारी व शिक्षक अपनी मांगो के लिए प्रदर्शन कर रहे थे जिसपर लखनऊ पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठियां व गोलियां चलायीं , सरकारी कार्यालयों में घुसकर लोगों को पीटा गया । डी . आई . जी लखनऊ को जवाँमर्दगी दिखाने के लिए नहीं मिला तो वह निहत्थी महिलाओं के ऊपर लाठियां चलाने लगे पुलिस ने अनावश्यक रूप से राज्य कर्मचारियों व शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया आंसू गैस के गोले छोड़े हवाई फायरिंग की । जवाहर भवन इंदिरा भवन सहित दर्जनों सरकारी कार्यालयों में घुसकर लाठी चार्ज किया । शांतिपूर्ण कर्मचारी व शिक्षकों के ऊपर प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज उनके बब्बर चरित्र को दर्शाता है । राजधानी में निहत्थी महिलाओं के ऊपर बेशर्मी के साथ लाठीचार्ज करना यह बताता है कि पुलिस का माननीय उच्चतम न्यालय के दिशानिर्देश कानून संविधान में कोई यकीन नहीं है । यह सब ब्रिटिश युग के गुलाम मानसिकता वाले सरकारी तंत्र हैं । ऊँचे ओहदों पर बैठे हुए लोग अपने

लो क सं घ र्ष !: सत्ता के लिए ललायित कांग्रेस के खेल

महराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चाहवाण की कैबिनेट द्वारा लिए गये एक फैसले ने महाराष्ट्र में नफरत अलगाववाद की राजनीत करने वालों के पक्ष को शक्ति प्रदान की है। कैबिनेट में लिए गये निर्णय के मुताबिक महाराष्ट्र में उन्हीं टैक्सी चालकों को टैक्सी चलाने का परमिट दिया जायेगा जो मराठी भाषा ठीक से बोल , लिख व पढ़ लेते हो। इस पर राष्ट्र स्तर पर आती तीखी प्रतिक्रियाओं से घबराकर कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में अशोक चाहवाण को निर्णय पर अपना स्पष्टीकरण देकर यू टर्न लेना पड़ा। कांग्रेस का यह खेल बहुत पुराना है। सत्ता पाने के लिए वह अक्सर ऐसे खेल खेला करती है। कहने को तो यह जमात अपने को धर्म निरपेक्ष व जातिवाद के विरूद्ध कहती है परन्तु इस तरह के शिगूफे वह बराबर छोड़ती रहती है और सम्प्रदायिक व अलगाववादी शक्तियों को ताकत देती रहती है। बाबरी मस्जिद का सोया शेर कांग्रेसियों ने जगाया। फिर शिलान्यास करवाकर हिन्दूवादी शक्तियों के अंदर धार्मिक उबाल पैद

भगवान के नाम पत्रःःःःःःःःःः

हे परमपिता, आपके ही निर्देश पर ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की। वनस्पति, जलवायु, जीव-जन्तु, पक्षी और हम मनुष्यों को अवतरित किया। आपही के द्वारा रचित संसार में जीवन चक्र सतत गति से चल रहा था। अचानक इसका संतुलन बिगड़ गया। आप नाराज तो नहीं हो गए? सब ग्लोबल वार्मिंग, ग्लोबल वार्मिंग चिल्लाने लगे। अब मिनी आइस एज, मिनी आइस एज कर रहे हैं। वसंत आ गया है। लोगों को पता ही नहीं चला। ठिठुरन इतनी जो थी। मैंने अनोखा वसंत मनाया। अपनी रजाई में पीला खोल चढ़ा लिया। हे परमपिता परमेश्वर, आपने हम भक्तों को अपनी सबसे अच्छी कृति सोचकर इस धरती पर भेजा और जब उपर से देखा तो आप नाराज हो गए। नीचे हर कोई ब्रह्मा बनना चाहता है। आपने ही हम मनुष्यों को अलग-अलग दिमाग दे दिए। अब आप ही क्रोधित हो रहे हैं। हे परमपिता, सुना है आप सबको एक ही नजर से देखते हैं फिर इस बार भेदभाव क्यों? खास आदमी साधन संपन्न हो रहा है और आम आदमी नंगा हो रहा है। क्या आप भी आम आदमी से रूठे हुए हैं। ये मत सोचिए कि वे आपको पूजते नहीं। हां, वे देशी घी और मेवे को भोग चढ़ाते नहीं। यदि ये ऐसा कर सकते तो आम क्यों होते? खास न होते। अब इनका दर्द आप नहीं स