Skip to main content

Posts

Showing posts from June 4, 2010

लो क सं घ र्ष !: पत्नी बचाना मुश्किल है

( आरोप यदि सही हैं तो शर्मनाक है ) ईजराइल के सरकारी दौरे पर गए लेफ्टिनेंट जनरल ए.के नंदा ने साथ में गए कर्नल रैंक के अधिकारी की पत्नी से छेड़-छाड़ की। यह आरोप कर्नल रैंक के अधिकारी की पत्नी ने सेना प्रमुख की पत्नी व आर्मी वाईव्स से मिलकर लगाया। इसके पूर्व भी सेना के पांच बड़े अफसरों ने अपने मातहत अफसरों की पत्नियों का यौन उत्पीडन का मामला प्रकाश में आया था। समय-समय पर उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियो के खिलाफ अपने अधीनस्थ अधिकारियो की पत्नियों से छेड़-छड के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। पूर्वोत्तर भारत में सेना का पूर्णतया नियंत्रण है। मणिपुर में सेना के खिलाफ औरतों का निवस्त्र प्रदर्शन तक हो चुका है। समाज में हमारी सेना के अदम्य साहस और शौर्य की गाथाएं जन-जन में प्रचलित हैं किन्तु दूसरा पक्ष यह भी है कि सेना में यौन उत्पीडन, भ्रष्टाचार के मामले जब प्रकाश में अक्सर आते रहते हैं तो एक तबका इस बात की वकालत करने लगता है कि इसकी चर्चा मत करो सेना का मनोबल टूटेगा। हमारी सेना में अब इस तरह की हरकतें ज्यादा संख्या में होने लगी हैं और भ्रष्टाचार भी अन्य विभागों की तरह चरम पर हैं। पुलिस वाल

राजनीति

भास्कर.कॉम डायरेक्टर: प्रकाश झा बैनर: प्रकाश झा प्रोडक्शन,वॉक वाटर मीडिया,यूटीवी मोशन पिक्चर्स, संगीतकार: प्रीतम चक्रबर्ती,आदेश श्रीवास्तव,शांतनु मोइत्रा गीतकार: गुलज़ार,समीर,स्वानंद किरकिरे कलाकार:  अजय देवगन,रणबीर कपूर,कैटरीना कैफ, मनोज वाजपेयी, अर्जुन रामपाल, नसीरुद्दीन शाह,सारह थॉमसन केन  स्टार: *** शुक्रवार को रिलीज़ हुई फिल्म राजनीति को मॉडर्न महाभारत कहा जा सकता है| इस फिल्म में अजय देवगन का किरदार कर्ण,रणबीर कपूर का अर्जुन और नाना पाटेकर का किरदार शकुनी मामा के पत्रों से मेल खता है| महाभारत की तरह ही फिल्म की कहानी में भी यह तीनों किरदार बेहद अहम हैं|फिल्म की कहानी है एक राजनीतिक परिवार की| भास्कर सान्याल(नसीरुद्दीन शाह)एक वामपंथी नेता के किरदार में हैं जो राजनीति में मूल्यों पर बहुत विश्वास करता है और उसकी इसी बात से प्रभावित होकर विपक्ष पार्टी के नेता की बेटी भारती(निखिला त्रिखा)अपने पिता के विरुद्ध जाकर भास्कर की पार्टी में शामिल हो जाती है| मगर एक भूल से भास्कर के किए-कराए पर पानी फिर जाता है और वह सब कुछ छोड़कर स्व-घोषित वनवास को चला जाता है|वह भारती से प्या

लो क सं घ र्ष !: नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा-3

हम कम्युनिस्ट नहीं हैं : फिदेल (1959) 1 जनवरी 1959 को क्यूबा में बटिस्टा के शोषण को हमेशा के लिए समाप्त करने के बाद अप्रैल, 1959 में फिदेल एसोसिएशन आॅफ न्यूजपेपर एडिटर्स के आमंत्रण पर अमेरिका गये जहाँ उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि ’मैं जानता हूँ कि दुनिया सोचती है कि हम कम्युनिस्ट हैं पर मैंने बिल्कुल साफ तौर पर यह कहा है कि हम कम्युनिस्ट नहीं हैं।’ उसी प्रवास के दौरान फिदेल की साढ़े तीन घंटे की मुलाकात अमेरिकी उप राष्ट्रपति निक्सन के साथ भी हुई जिसके अंत में निक्सन का निष्कर्ष यह था कि ’या तो कम्युनिज्म के बारे में फिदेल की समझ अविश्वसनीय रूप से बचकानी है या फिर वे ऐसा कम्युनिस्ट अनुशासन की वजह से प्रकट कर रहे हैं।’ लेकिन फिदेल ने मई में क्यूबा में अपने भाषण में फिर दोहरायाः ’न तो हमारी क्रान्ति पूँजीवादी है, न ये कम्युनिस्ट है, हमारा मकसद इंसानियत को रूढ़ियों से, बेड़ियों से मुक्त कराना और बगैर किसी को आतंकित किए या जबर्दस्ती किए, अर्थव्यवस्था को मुक्त कराना है।’ बहरहाल न कैनेडी के ये उच्च विचार क्यूबा के बारे में कायम रह सके और न फिदेल को ही इतिहास ने अपने इस बयान पर कायम