इस कड़ी में अब हम जो कविता प्रकाशित कर है उसे अपने शब्दों से सजाया है विनोद बिस्सा जी ने ,विनोद जी की इस कविता ने शीर्ष पाँच में तीसरा स्थान प्राप्त किया है ! हम विनोद की को बहुत बहुत बधाई देते है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ,आप लोगों से आग्रह है की उनकी इस कविता पर अपनी राय के रूप में समीक्षा भेजें ! असमंजस विनाशकारी प्रतिक्षण समय भाग रहा इस बात से बेखबर किस पथ जाऊं मैं पथिक खड़ा सोच रहा हर पलबे-फिकर नहीं समझ पा रहा वह क्या उसने उचित यह पथ चुना ? जिस पथ को वह ताके सुख दुख दोनो खड़े दिखें दोराहे पर खड़ा वह विस्मित पूरा समय युं ही खो दे असमंजस विनाशकारी ये बात वह नहीं समझ रहा हर पल खोजने में सही पथ पूरी ताकत झोंक रहा ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ विनोद बिस्सा आगे पढ़ें के आगे यहाँ