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Showing posts from February 4, 2011
Tuesday, February 1, 2011 क्यूँ देखता हूँ रोज़ सूरज की तरह में तुम्हें क्यूँ देखता हूँ रोज़ चाँद की तरह में तुम्हें क्यूँ देखता हूँ रोज़ चमकते तारों की तरह में तुम्हे जब तुमसे चाँद ,तारे और सूरज की तरह मुलाक़ात का कोई वायदा भी नहीं हे क्यूँ देखता हूँ एक टक यूँ ही गुमसुम सा में तुम्हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
शिकार में मारी गयी बाघिन फिर से जीवित हुई Wednesday, February 2, 2011 राजस्थान में आज से दो साल पहले आठ शिकारियों द्वारा एक शेरनी को मारने की खबर से सनसनी फेल गयी पुलिस और वन अधिकारीयों ने इन शिकारियों को पकड़ा जेल भेजा चालान बनाया शेरनी का पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट तय्यार की और शिकारियों को जेल भेजा जिनकी जमानत हाईकोर्ट ने भी ख़ारिज कर दी यह शिकारी अभी जेल में हें । लेकिन राजस्थान के वन और पुलिस के अधिकारीयों की लापरवाही का नतीजा जब आमने आया तब वन अधिकारी जी का तबादला हुआ और नये वन अधिकारी जी ने जंगल की ख़ाक छानी तो उन्होंने देखा के जिस शेरनी को रिकोर्ड में दो साल पहले मरा हुआ घोषित किया गया हे वोह शेरनी तो जीवित जंगल में विचरण कर रही हे रेडियो कोलर और दुसरे दर्ज पहचान चिन्हों से कन्फर्म किया गया तो यह वही शेरनी निकली जिसे रिकोर्ड में शिकारियों द्वारा मरना बताया गया हे और जिसकी हत्या के जुर्म में आठ लोग जेल में हे अब राजस्थान के वन और पुलिस अधिकारीयों की जब यह पोल खुली तो वोह अगल बगल झांक रहे हें और उनसे जवाब नहीं बन पढ़ रहा हे जो शिकारी बिना वजह जीवित शेरनी की हत्या
मजाक मजाक में दुल्हा दुल्हन रूठ गये रिश्ते टूट गये ..... Thursday, February 3, 2011 शादी ब्याह के रस्मों रिवाज में मजाक का रिश्ता कोटा सम्भाग के झालावाड जिले के मनोहरथाना कस्बे में ग्राम तलवाडा में इतना महंगा पढ़ा के वहां बारात बिना दुल्हन के वापस गयी और एक मधुर रिश्ता बनने के पहले ही टूट गया । शादी ब्याह में रस्मों रिवाज के तहत एक दुसरे से हंसी मजाक की अलग अलग समाजों ,जातियों और स्थानों पर अनेक रस्में हे इसी रस्म के तहत तलावडा गाँव में जब एक बारात आई तो किसी ने शादी ब्याह का बंधन होने के बाद विदाइगी के पहले एक रस्म में दुल्हे से मजाक करते हुए उसके खुजली की फली याने कोंच की फली लगा दी बस फिर क्या था दुल्हा के खुजली चली और दुल्हा ने खुजली के मारे कत्थक शुरू कर दिया यह मजाक दुल्हा और दूल्हा के रिश्तेदारों को केसे पसंद आ सकता था लिहाजा शिकवे शिकायत से बात तू तडाक और फिर धक्का मुक्की मार पिटाई तक पहुंच गयी हालत जो खुशियों के थे वोह नफरत और गुस्से में बदल गये और दुल्हा ने दुल्हन को ले जाने से और दुल्हन ने दूल्हा के साथ जाने से इनकार कर दिया काफी समझायश हुई लेकिन सब ब
कोटा में हेलमेट सभी का मिशन बना ...... दोस्तों कोटा में इनदिनों हेलमेट पत्रकारों,पुलिसकर्मियों, हेलमेट विक्रेताओं और जनता के लियें एक मिशन बन गया हे यहाँ चारों तरफ माहोल हेल्मेटी बन गया हे । कोटा के लियें एक खुश खबरी हे के देश भर में मोटरवाहन कानून कार,बस,ट्रक,जीप,ट्रेक्टर,जुगाड़ ,ओवरलोड कानून सहित हेलमेट कानूनों में से केवल एक हेलमेट कानून लागु करने वाला पहला शहर बन गया हे देश के दुसरे सभी जिलों और राज्यों में मोटर वाहन कानून केवल हेलमेट के लियें ही नहीं बलके समानता के अधिकार के तहत सभी वाहनों के लियें अभियान बना हुआ हे लेकिन यहाँ मोटर वाहन कानून के सभी धाराओं को तो पुलिस और प्रशासन ने ताक में रख दिया हे और केवल एक मात्र धारा हेलमेट चालान पर अपना ध्यान केन्द्रिक्र्त कर दिया हे कोटा के दो बढ़े अख़बार वालों के कई संवाददाता सुबह सवेरे सम्पादक मीटिंग में सम्पादक की नहीं प्रबन्धक की डांट खाते हें जी हाँ कोटा के कुछ पत्रकार ऐसे हें जो सम्पादक के निर्देश से नहीं प्रबन्धक यानी विज्ञापन प्रबन्धक के निर्देशों से चलते हें और अगर वोह पत्रकारिता की अक्ल दिखाएँ तो बेचारों को घ
व्यवस्था में सुधार होना ही चाहिए... नित्यानंद जी का एक शेर है- ''उसे जो लिखना होता है वही वह लिखकर रहती है, कलम को  सर कलम होने का बिलकुल डर नहीं होता.''     आज यही बात मेरी लेखनी पर भी लागू होनी चाहिए क्योंकि आज मै इसके माध्यम से कुछ सरकारी व्यवस्थाओं पर ऊँगली उठाने जा रही हूँ जो मेरे दृष्टिकोण से सुधार चाहती है.    बरेली में आई.टी.बी.पी.में ट्रेड मेन की भर्ती शहर ओर अभ्यर्थियों   के लिए जो स्थिति लेकर आयी सभी जानते हैं.२० अभ्यर्थी इस घटना में काल के गाल में समां चुके हैं ओर यदि इस तरह की व्यवस्था ही आगे भी जारी रहती है तो आगे भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.      इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को एक दिन ,एक स्थान पर एकत्रित करना ओर फिर उस परीक्षा को स्थगित कर देना प्रशासन के लिए एक सामान्य कार्य हो सकता है किन्तु यह अभ्यर्थियों के लिए सामान्य बात नहीं है क्योंकि अपनी जगह से अपने सभी काम-काज छोड़कर दूर आना और आने पर सब कुछ विफल हो जाना बर्दाश्त के बाहर है.प्रशासन पहले से ही ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं करता कि थोड़े थोड़े अभ्