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Showing posts from July 6, 2010

लो क सं घ र्ष !: उत्तर प्रदेश सरकार का सजायाफ्ता मंत्री

अराजकता और अव्यवस्था के दौर में उत्तर प्रदेश सरकार के आंबेडकर ग्राम विकास योजना के मंत्री रतनलाल अहिरवार व उनके दो पुत्रों को शिवपुरी मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने एक - एक वर्ष की सजा सुनाई । आश्चर्य इस बात का है कि पहले अपराधियों को मंत्री बनाया गया और सजा होने के बाद भी सजायाफ्ता के रूप में मंत्री पद पर सुशोभित हैं । प्रदेश में सरकार के ऊपर अपराधियों का एक गिरोह काबिज होता है और जब जनता उससे ऊब जाती है तो दूसरे अपराधी गिरोह का कब्ज़ा हो जाता है । यही क्या लोकतान्त्रिक परंपरा है ? और इससे ज्यादा बुरी स्तिथि नौकरशाहों की है । उनके बड़े - बड़े घोटालों व आर्थिक अपराधों के खिलाफ सरकार कार्यवाही करने में अक्षम साबित होती है । उनके खिलाफ मुकदमा चलने के लिए अभियोजन की अनुमति की आवश्यकता होती है । सरकार में बैठे हुए अपराधी तत्व अभियोजन की मंजूरी ही नहीं होने देते हैं । जिससे प्रदेश में बड़े - बड़े आर्थिक अपराधी शासन

बेहतरीन अदाकारी का इनाम ट्रक भरकर फूल

भावना सोमाया जब कोई फिल्म चलती है तो कोई भी उसकी सफलता के कारण की पड़ताल करने की परवाह नहीं करता, लेकिन फिल्म के पिट जाने पर सभी समीक्षक बन जाते हैं। रावण के साथ यही हो रहा है। समीक्षक फिल्म की कहानी, रणनीतिकार फिल्म के प्रचार और दर्शक फिल्म के चरित्र चित्रण को दोष दे रहे हैं। दर्शकों और फिल्म जगत को मणिरत्नम की फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई अतिप्रचारित फिल्म पिट गई हो। यह बड़े-बड़े फिल्मकारों के साथ भी हो चुका है। राज कपूर की मेरा नाम जोकर, यश चोपड़ा की सिलसिला और लम्हे, बोनी कपूर की रूप की रानी, चोरों का राजा, सुभाष घई की यादें, अमिताभ बच्चन की मृत्युदाता.. सभी इसी श्रेणी में आती हैं। कुछ लोग नाकामी के दौर से गरिमा के साथ बाहर आते हैं। कुछ खामोशी से इसका सामना करते हैं तो कुछ इसे चुनौती की तरह लेते हैं। अमिताभ बच्चन ने यही किया था, जब कौन बनेगा करोड़पति से उन्होंने जोरदार वापसी की थी। वे भले ही अपनी निजी जिंदगी में बहुत ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते हों, लेकिन सदाशय प्रतिक्रियाएं देने में वे कभी पीछे नहीं रहे। 70 के दशक में अपनी एक सहकलाकार के अ

तेरे इंतजार में हम अब भी जी रहे है..

आँखों के आंसुओ को ॥ घुट - घुट के पी रहे है॥ तेरे ही इन्तजार में अभी भी जी रहे है॥ तुमने किया था वादा मेरा साथ न छोडोगी॥ बांधा जो तुंने बंधन उसको न खोलो गी॥ तेरी हंसी के होठो की तस्वीरे बना रहेहै॥ आँखों के आंसुओ को ॥ घुट - घुट के पी रहे है॥ तेरे ही इन्तजार में अभी भी जी रहे है॥ क्यों बना ज़माना बैरी तुम दूर हो गयी॥ बात क्या हुयी जो मजबूर हो गयी॥ लेके सिन्दूर हाथ में हम तुमको बुला रहे है॥ आँखों के आंसुओ को ॥ घुट - घुट के पी रहे है॥ तेरे ही इन्तजार में अभी भी जी रहे है॥ अब बर्दास्त नहीं होता तनहा तनहा जीना॥ तेरे सिवा पसंद न कोई स्वेता शशि रवीना॥ उस तेरे प्रेम पत्र को दिल को सूना रहे है॥ आँखों के आंसुओ को ॥ घुट - घुट के पी रहे है॥ तेरे ही इन्तजार में अभी भी जी रहे है॥ क्यों खूखार बन गए घर के तुम्हारे लोग॥ क्या तुझपे जुल्म धा रहे करते नहीं है शोक॥ तेरा पता न मालूम हम जासूस लगा रहे है॥ आँखों के आंसुओ को ॥ घुट - घुट के पी रहे है॥ तेरे ही इन्तजार में अभी भी जी रहे है॥ गर तुम हमें हो चाहती हम जरूर मिलेगे॥ जो फूल सूख गए वे फिर से खिलेगे॥ मेरे नसीब में तू है हम अंदाजा लगा रहे है॥ आँखों के आंसुओ को