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Showing posts from January 21, 2010

माँ सरस्वती शत-शत वन्दन --संजीव 'सलिल'

माँ सरस्वती शत-शत वन्दन संजीव 'सलिल' माँ सरस्वती! शत-शत वंदन, अर्पित अक्षत हल्दी चंदन. यह धरती कर हम हरी-भरी, माँ! वर दो बना सकें नंदन. प्रकृति के पुत्र बनें हम सब, ऐसी ही मति सबको दो अब- पर्वत नभ पवन धरा जंगल खुश हों सुन खगकुल का गुंजन. * माँ हमको सत्य-प्रकाश मिले, नित सद्भावों के सुमन खिलें. वर ऐसा दो सत्मूल्यों के शुभ संस्कार किंचित न हिलें. मम कलम-विचारों-वाणी को मैया! अपना आवास करो- मेर जीवन से मिटा तिमिर हे मैया! अमर उजास भरो.. * हम सत-शिव-सुन्दर रच पायें ,धरती पर स्वर्ग बसा पायें. पीड़ा औरों की हर पायें, मिलकर तेरी जय-जय-जय गायें. गोपाल, राम, प्रहलाद बनें, सीता. गार्गी बन मुस्कायें. हम उठा माथ औ' मिला हाथ हिंदी का झंडा फहरायें. * माँ यह हिंदी जनवाणी है, अब तो इसको जगवाणी कर. सम्पूर्ण धरा की भाषा हो अब ऐसा कुछ कल्याणी कर. हिंदीद्वेषी हो नतमस्तक खुद ही हिंदी का गान करें- हर भाषा-बोली को हिंदी की बहिना वीणापाणी कर. *

लो क सं घ र्ष !: जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ को अपनाना होगा

जीवन सफल बनाना है तो , सत्य पथ को अपनाना होगा । घनतम दूर भागना है तो , ज्ञान - प्रदीप जलना होगा ॥ खिलता है कांटो में गुलाब जग में सौरभ फैलाता है । शीत , ताप , झंझा झकोर से , कब पंकज मुरझाता है ॥ जीवन सुरभित करना है तो , आदर्श इन्हें बनाना होगा । जीवन सफल बनाना है तो , सत्यपथ को अपनाना होगा ॥ संघर्ष नाम है जीवन का , जीवन संघर्ष के बिना कहाँ ? है वहीँ सफलता का निवास , कर्तव्य बोध संघर्ष जहाँ ॥ पथ पर बिखरे पषाणों से , पग - पग पर टकराना होगा । जीवन सफल बना है तो , सत्यपथ को अपनाना होगा ॥ कर्तव्यों से विमुख होना है तो , भाग्य भरोसे बैठे रहना । यदि गंतव्य को पाना है तो , पथिक निरंतर बढ़ते रहना ॥ थककर बैठ न जाना प्यारे ! आजीवन पछताना होगा । जीवन सफल बना है तो , सत्यपथ को अपनाना होगा ॥ जीवन हो विष का प्याला , पर इसे सुधा सम पीना होगा । युग के झंझावातों में भी , हँस - हँस कर के जीना होगा ॥ कितना ही कंटकमय पथ हो , आगे बढ़ते जाना होगा । जीवन सफल बनाना है तो , सत्यपथ अपन