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Showing posts from May 25, 2009

आप आए --ग़ज़ल

आप आए दिल के आशियाने में क्या कहें क्या ना हुआ ज़माने में बात जो थी बस लवों तक आपके होगई है बयाँ हर फ़साने में । हम चलें उस आसमान के छोर तक, छोड़ना पङता है कुछ ,कुछ पाने में। प्रीति का यह चलन कब भाया किसे, कब कसर छोडेंगे ,ज़ुल्म ढाने में । इश्क फूलों का चमन ही तो नहीं, राह काँटों की है हर ज़माने में। ज़िंदगी हो गुले-गुलशन कब मज़ा, जो मज़ा काँटों में गुनगुनाने में। बात अपनी बने या ना बने श्याम, ना कसर रह जाय आज़माने में॥

डूबते दिनकर के नाम...

थी संजीदा फौज में कुछ नामवर हस्ती मगर उनके नामो से है बेहतर बदनुमा पत्थर के नाम मांगना है जो भी मुझको मांग लूँगा आपसे मैं गुजारिश लेके जाऊ क्यों किसी अफसर के पास । दिल के दस्तावेज पर जागीर- ए -गम को छोड़कर हमने सबकुछ लिख दिया सिमे पैगम्बर के नाम। पुश्त पर शब्बीर है सजदे में खैरुल अनाम - शरफ ये भी लिख दिया अल्लाह ने सरवर के नाम। मित्रो की कोशिशें नाकाम सारी हो गई - सब उजाले हो गए फिर डूबते दिनकर के नाम। -डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही''

मेरी मदद कीजिये...किसी के पास ब्लोगवाणी का कोड है...?

मैं ने अभी कुछ दिन पहले अपने ब्लॉग का टेम्पलेट बदला है उसको एक नया रूप दिया है लेकिन नया रूप देने के बाद मेरा नुक्सान हो गया...ब्लोगवाणी का HTML CODE जिससे पोस्ट ब्लोगवाणी पर जाती है वो गायब हो गया है.... मैंने बहुत कोशिश की, ब्लोगवाणी पर ईमेल किए लेकिन वहां से कोई जवाब नही आ रहा है, मेरी समझ नही आ रहा है की मैं क्या करू .... आगे पढ़े ....

कुछ अपने लिए ,कुछ दूसरो के लिए...

हो रोशन चिराग , जिन्दा दिली भरा ,। तो जरूरी नही सूरज ही हो । रौशनी के लिए । ख्वाब हो , ख़याल हो दुरुस्त , जज्बात हो इरादे हो पुख्ता । कर्म की तलवार से , काट दो अभाग्य को । आधा पानी में रहो रहो आधा रेत पर थोड़ा बुद्ध हो जाओ थोड़ा चावार्क बन जिंदगी को जियो , जीने के लिए कुछ अपने लिए , कुछ दूसरो के लिए । दिनेश अवस्थी इलाहाबाद बैंक उन्नाव

रास्ता होता है....बस नज़र नहीं आता..........!!

रास्ता होता है....बस नज़र नहीं आता..........!! कभी - कभी ऐसा भी होता है हमारे सामने रास्ता ही नहीं होता .....!! और किसी उधेड़ बून में पड़ जाते हम .... खीजते हैं , परेशान होते हैं ... चारों तरफ़ अपनी अक्ल दौडाते हैं मगर रास्ता है कि नहीं ही मिलता .... अपने अनुभव के घोडे को हम .... चारों दिशाओं में दौडाते हैं ...... कितनी ही तेज़ रफ़्तार से ये घोडे हम तक लौट - लौट आते हैं वापस बिना कोई मंजिल पाये हुए .....!! रास्ता है कि नहीं मिलता ......!! हमारी सोच ही कहीं गूम हो जाती है ...... रास्तों के बेनाम चौराहों में ..... ऐसे चौराहों पर अक्सर रास्ते भी अनगिनत हो जाया करते हैं .......... और जिंदगी एक अंतहीन इम्तेहान .....!!! अगर इसे एक कविता ना समझो तो एक बात बताऊँ दोस्त .....?? रास्ता तो हर जगह ही होता है ..... अपनी सही जगह पर ही होता है ..... बस ..... हमें नज़र ही नहीं आता ......!!!!

इस्लाम और कुरान ब्लॉग मे आपका स्वागत है....

सारे ब्लॉगर भाइयों से दिल से आदाब, मैंने आज से नौ महीने पहले इस ब्लॉग को बनाया था सोचा था की दुनिया में इस्लाम की धूमिल हो चुकी छवि को मैं शायद कुछ सुधार सकूं लेकिन घर पर लगे इन्टरनेट कनेक्शन के दम पर यह सोचा था लेकिन वो ही ठीक से काम नहीं कर रहा था... आगे पढ़े....