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Showing posts from November 3, 2009

स्मृति गीत: सृजन विरासत --संजीव 'सलिल'

स्मृति गीत: संजीव 'सलिल' सृजन विरासत तुमसे पाई... * अलस सवेरे उठते ही तुम, बिन आलस्य काम में जुटतीं. सिगडी, सनसी, चिमटा, चमचा चौके में वाद्यों सी बजतीं. देर हुई तो हमें जगाने टेर-टेर आवाज़ लगाई. सृजन विरासत तुमसे पाई... * जेल निरीक्षण कर आते थे, नित सूरज उगने के पहले. तव पाबंदी, श्रम, कर्मठता से अपराधी रहते दहले. निज निर्मित व्यक्तित्व, सफलता पाकर तुमने सहज पचाई. सृजन विरासत तुमसे पाई... * माँ!-पापा! संकट के संबल गए छोड़कर हमें अकेला. विधि-विधान ने हाय! रख दिया है झिंझोड़कर विकट झमेला. तुम बिन हर त्यौहार अधूरा, खुशी पराई. सृजन विरासत तुमसे पाई... * यह सूनापन भी हमको जीना ही होगा गए मुसाफिर. अमिय-गरल समभावी हो पीना ही होगा कल की खातिर. अब न शीश पर छाँव, धूप-बरखा मंडराई. सृजन विरासत तुमसे पाई... * वे क्षर थे, पर अक्षर मूल्यों को जीते थे. हमने देखा. कभी न पाया ह्रदय-हाथ पल भर रीते थे युग ने लेखा. सुधियों का संबल दे प्रति पल राह दिखाई.. सृजन विरासत तुमसे पाई... *

दारू चलीसा

दोहा: पैग लगा के झूमिये । ये कलयुग की देन॥ लफडा झगडा करत रहो॥ जात रहे सुख चैन॥ चौपाई: जय जय कलयुग की दारू । तुमका पियय सकल परिवारू॥ पी करके कुछ पंगा करते॥ गाँव गली अव सड़क पे मरते॥ कुछ बीबी का करय पिटाई॥ कुछ बच्चो का दियय मिठाई॥ छोटे बड़े कय काटो चिंता॥ गली गली में होती हिंसा॥ पीने पर तुर्रम खा बनते ॥ दादी अम्मा को चिन्हते॥ गली गली म होत बुराई॥ इनका खाती काली माई॥ मेहर डंडा लय गरियाती॥ जाय चौकी म रपट लिखाती॥ कोई फ़िर भी फरक पङता॥ बच्चा क्यो न भूँखा मरता॥ घर की सब बर्बादी कीन्हा॥ इनकी अक्ल देव हर लीन्हा॥ होत सबेरे टुल्ली रहते॥ रुपया दे दो हरदम कहते ॥ ये दारू कर दी बर्बादी ॥ मरे जल्दी मिलते आज़ादी॥ बीबी बच्चे हरदम कहते॥ आटा होगा ताड़ में रहते॥ दारू इनकी कौन छुडावे ॥ बुरा कर्म है कौन बतावे ॥ जूता चप्पल हरदम खाते ॥ फ़िर भी पीछे न पचताते॥ दोहा: हे कलयुग की दारू माता करव इनका कल्याण॥ कोई घटना घटित कर दो जल्दी निकले प्राण॥

बदनामी होगी..

ऐसे न चाल चल पवन हरजाई॥ लागल झुलानिया कय तार टूट जायी॥ सासू बोली बोले ससुरा बोली बोले॥ ननदी के भैया बगीचा में डोले॥ धीरे धीरे झटका दे आवे अंगडाई॥ लागल नजरिया से बाण छूट जायी॥ आस पड़ोस के बोले टिपोसी॥ कहत निकम्मी बा हमरी पड़ोसी॥ हंस हंस के न बात कर होय जग हसाई॥ लागल उमारिया कय ले छूट जायी॥

लो क सं घ र्ष !: संप्रभुता से समझौता नहीं - उत्तरी कोरिया - 2

साम्राज्यवाद के घड़ियाली आँसू उत्तरी कोरिया ने 25 मई 2009 को परमाणु विस्फोट करके ये ऐलान कर दिया था कि उसने परमाणु हथियार बनाने की तकनीक व आवष्यक सामग्री हासिल कर ली है। उत्तरी कोरिया ने अपने संदेष में कहा कि उसने ऐसा करके अपने देष की संप्रभुता की सुरक्षा को बढ़ाया है जिस पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। साथ ही यह भी कि अमेरिका ने जिस तरह उत्तरी कोरिया पर परमाणु हमले के खतरे को बढ़ाया है, उसकी वजह से उसे ये कदम उठाना पड़ा है। उत्तरी कोरिया के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि उत्तरी कोरिया द्वारा किया गया यह परमाणु परीक्षण धरती पर अब तक किये जा चुके परमाणु परीक्षणों में 2054वाँ है। इसके पूर्व तक किये गये 2053 परमाणु परीक्षणों में से 99.99 प्रतिषत उन पाँच देषों ने ही किये हैं जो परमाणु अप्रसार संधि के आधार पर परमाणु हथियार रखने की पात्रता लिए हुए हैं और यही पाँचों देष- अमेरिका, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस, संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य भी हैं। अगर परमाणु परीक्षण विष्व शांति के लिए खतरा हैं तो पृथ्वी को सबसे बड़ा खतरा इन देषों से है। बयान में आगे साफ़ कहा गया है कि