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Showing posts from March 5, 2010

लो क सं घ र्ष !: लोकतंत्र से ‘‘लोक’’ लुप्त

देश की आजादी से पहले ‘‘लोक’’ की महत्ता नहीं थी। महत्ता थी तो मात्र शाह की। शाह यानी बादशाह और जहां बादशाहत चलती है उसे हम नाम देते हैं राजशाही का। आजादी से पहले बादशाहत थी वह चाहे ब्रिटेन की महारानी रही हों, मुगल शासक रहे हों या पूरे देश में टुकड़ों-टुकड़ों में बंटे हुए राजा। कुल मिलाकर हम यह कहेगें कि अपने देश में खण्डित राजशाही की और छोटा-छोटा राज्य लेकर पूरे देश में राजाओं की भरमार। जो अपने-अपने राज्य के विस्तार के लिए आये दिन आपस में लड़ते रहते थे। तब राजा छत्रपति बनने की आकांक्षा संजोए एक-दूसरे पर हमला करता था। इसी का लाभ उठाकर विदेशी आक्रमणकारी भी हमला करते रहते थे। कुछ हमलावर विजय प्राप्त करने के बाद इस देश को अपना देश समझकर इसके विकास के लिए और देश को एक करने के लिए प्रयासरत रहे। कुछ को सफलता मिली और वह महान कहलाए। ईस्ट इण्डिया कम्पनी आयी पहले उसका मकसद केवल व्यापार था। कच्चा माल और बेगार करने वाले या सस्ते मजदूरों के सहारे उसने अपने को बढ़ाया और मौका पाकर अपना पैर जमाया। टीपू जैसे बहादुर अपनों के निकम्मेपन, लालच, चापलूसी करने वालों और सत्ता लोलुप लोगों के कारण अंग्रेजों के सामने

जनमत: हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज भाषा?

जनमत: हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज भाषा? सोचिये और अपना मत बताइए: आप की सोच के अनुसार हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज भाषा? क्या आम मानते हैं कि हिन्दी भविष्य की विश्व भाषा है? क्या संस्कृत और हिन्दी के अलावा अन्य किसी भाषा में अक्षरों का उच्चारण ध्वनि विज्ञानं के नियमों के अनुसार किया जाता है? अक्षर के उच्चारण और लिपि में लेखन में साम्य किन भाषाओँ में है? अमेरिका के राष्ट्रपति अमेरिकियों को बार-बार हिन्दी सीखने के लिए क्यों प्रेरित कर रहे हैं? अन्य सौरमंडलों में संभावित सभ्यताओं से संपर्क हेतु विश्व की समस्त भाषाओँ को परखे जाने पर संस्कृत और हिन्दी सर्वश्रेष्ठ पाई गयीं हैं तो भारत में इनके प्रति उदासीनता क्यों? क्या भारत में अंग्रेजी के प्रति अंध-मोह का कारण उसका विदेशी शासन कर्ताओं से जुड़ा होना नहीं है? Acharya Sanjiv सलिल / http://divyanarmada.blogspot.com