Skip to main content

Posts

Showing posts from August 30, 2009

दुनिया

दुनिया मेरी छोटी सी है कई मायनों में फिर भी लोगों से बड़ी ........ नहीं निर्धारित होती अपनों की सीमा यहाँ रिश्तों से वह हर कोई अपना है यहाँ नहीं लगता जो पराया खुश रहने के मौके अपेक्षाकृत ज्यादा है यहाँ खुशियों के मायने निहित जो राते हैं अपनी हार और दूसरों की जीत में । नहीं झरते आंसू यहाँ ख़ुद के दर्द से बहती रहती है अश्रुओं की अविरल धारा देखकर मायूसी औरों की आंखों की नहीं होता जीवन का कोई एक ध्येय यहाँ पूरा होने पर एक के शुरू हो जाती है जद्दोजहद दूसरे के लिए इसलिए छोटा होकर भी बड़ा लगता है जीवन यहाँ ....... आरती "आस्था "

लो क सं घ र्ष !: यूं नियति नटी नर्तित हो....

यूं नियति नटी नर्तित हो , श्रंखला तोड़ जाती है । सम्बन्धों की मृदु छाया , आभास करा जाती है ॥ ईश्वरता और अमरता , कुछ माया की सुन्दरता । शिव सत्य स्वयं बन जाए , जीवन की गुण ग्राहकता ॥ जग में पलकों का खुलना , फिर सपनो की परछाई । आसक्त - व्यथा का क्रंदन , कहता जीवन पहुनाई ॥ - डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '