एनआरआई दुल्हों का संताप झेल रही लड़कियों का दर्द हम लड़कियां है, क्या यही हमारा गुनाह है? माता-पिता ने विदेश में सैटल करवाने के मकसद से हमारी शादी एनआरआई लड़कों से कर तो दी, लेकिन हम आज भी मायके में हैं। पति हमें छोड़कर विदेश जा चुके हैं। हमें न्याय की दरकार हैजाने-अनजाने एनआरआई लड़कों से विवाह हो गया। एनआरआई पति विवाह रचाने के बाद छोड़कर विदेश चले गए। अब हमारे पास मायके में रहकर न्याय के लिए चक्कर काटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। यह दर्द भरी दास्तां सुनाई एनआरआई युवकों की सताई 24 लड़कियों ने। सर्किट हाउस में मंगलवार को फफक-फफक कर रोते हुए लड़कियों ने कहा कि आखिर वे लड़कियां क्यों हैं? उन्हें अब किसी भी जन्म में लड़की नहीं बनना है। केस-1 कमलजीत कौर की मार्च-2002 में मक्खनलाल से विवाह हुआ और दो साल बाद वह फ्रांस चला गया। पांच साल बाद मक्खनलाल वापस लौटा तो 11 अगस्त को दूसरा विवाह रचा लिया। विवाह करवा कर वह फिर फ्रांस चला गया। अब कमलजीत कौर परिजनों के साथ थाना, पुलिस और अदालत के चक्कर काट रही है केस-2 लतारानी का विवाह अप्रैल-2009 में कपूरथला के अमरजीत के साथ हुआ। डेढ़ माह बाद अमरजीत