आठवाँ सम्मेलन
ए0आई0एस0एफ0 का आठवाँ सम्मेलन 28 से 31 दिसम्बर 1944 को कलकत्ता में संपन्न हुआ। सम्मेलन में 76 हजार सदस्यों के प्रतिनिधि के तौर पर 987 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए डाॅ0 बी0सी0 राॅय और सरोजिनी नायडू ने ए0आई0एस0एफ0 के राहत कार्यों की भरपूर प्रशंसा की। सम्मेलन के बाद स्वतः स्फूर्त एवं संगठित आंदोलनों की एक लम्बी श्रृंखला ही मानो शुरू हो गई। स्टूडेन्ट्स फैडरेशन ने कई छात्र संगठनों से मिलकर 26 जनवरी 1945 को स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया। संगठन ने कांग्रेस नेताओं की रिहाई के उत्साह में देश के कई शहरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया। वहीं कूच बिहार में 21 अगस्त 1945 को छात्रों पर हमले के विरोध स्वरूप कलकत्ता में एक जनसभा आयेजित की गई जिसमें 35 हजार से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
छात्र आंदोलन का उभार 1944-45
हिटलर पर सोवियत संघ की विजय और विश्वयुद्ध की समाप्ति के साथ ही पूरी दुनिया के गुलाम देशों में सम्राज्यवाद से मुक्ति का आंदोलन निर्णायक रूप से तेज हो गया।
विश्वयुद्ध के फौरन बाद आजाद हिंद फौज के तीन अधिकारियांे सहगल, ढिल्लो