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Showing posts from November 30, 2009

लो क सं घ र्ष !: न्यायपालिका की स्वतंत्रता - अन्तिम भाग

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में सन् 2002 में अल्पसंख्यक समुदाय की सामूहिक हत्या एवं बलात्कार काण्ड सम्बंधी मुकदमे को गुजरात राज्य से ठीक चुनाव से पहले बाहर हस्तान्तरित कर दिया ताकि वोटरों का धु्रवीकरण हो जाए एवं यह तर्क दिया गया कि अल्पसंख्यक समुदाय को राज्य में न्याय मिलना असंभव है। यहाँ पर यह बात महत्वपूर्ण है कि राजनैतिक रूप से सक्रिय कारपोरेट घरानों एवं धनी वर्ग, जो कि यू0एस0ए0 एवं ब्रिटेन से घनिष्टता से जुड़े हुए हैं के मुख्यालय महाराष्ट्र एवं गुजरात में हैं। यह भी बात महत्वपूर्ण है कि कर्नाटक राज्य जिसमें कि अभी जल्दी ही कारपोरेट घरानों एवं मल्टीनेशनल कम्पनियों का आधिपत्य हुआ है, में फासीवादी राजनैतिक दलों एवं संगठनों का तेजी से उदय हुआ है। कर्नाटक में स्त्रियों, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों, ईसाई मिशनरियों, एवं मुसलमानों पर आक्रमण में बढ़ोत्तरी हुई है। आश्चर्य की बात यह है कि इन हमलों की कोई गंभीर जाँच नही की गई है। अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा से भरे भाषण भारत में दैनिक चर्चा का विषय बन चुके हैं। न तो ऐसे मामलों की जाँच की जाती है और न ही उन पर मुकदमा चलाया जाता है, अगरचे ऐसा भाषण उच्च प