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Showing posts from February 15, 2011

रिश्ते बंद है आज चंद कागज के टुकड़ो में---------मिथिलेश

रिश्ते बंद है आज चंद कागज के टुकड़ो में, जिसको सहेज रखा है मैंने अपनी डायरी में, कभी-कभी खोलकर देखता हूँ उनपर लिखे हर्फों को जिस पर बिखरा है प्यार का रंग, वे आज भी उतने ही ताजे है जितना तुमसे बिछड़ने से पहले, लोग कहते हैं कि बदलता है सबकुछ समय के साथ, पर ये मेरे दोस्त जब भी देखता हूँ गुजरे वक्त को, पढ़ता हूँ उन शब्दो को जो लिखे थे तुमने, गूजंती है तुम्हारी आवाज कानो में वैसे ही, सुनता हूँ तुम्हारी हंसी को ऐसे मे दूर होती है कमी तुम्हारी, मजबूत होती है रिश्तो की डोर इन्ही चंद पन्नो से, जो सहेजे है मैंने न जाने कब से।।
बारावफात कहें या ईद मिलादुन्नबी , ख़ुशी मनाये या गम ... ? Monday, February 14, 2011 जी हाँ दोस्तों कल १२ रबीउलअव्वल यानी इस्लाम के आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद रज़ी अलाह ताला का जन्म दिन हे कल के ही दिन उनका जन्म हुआ था लेकिन अफ़सोस नाक बात यह हे के इसी दिन विश्व भर में नेकी और इन्साफ की शिक्षा का परचम आम करने वाले हर दिल अज़ीज़ खुदा की तरफ से आदमियों की उम्मत में से भेजे हुए इस पैगम्बर ने पर्दा लिया था यानी विसाल हुआ था अब एक दिन जिसमें ऐसी अज़ीम पैगम्बर शख्सियत के जन्म की ख़ुशी और इसी दिन इन के विसाल के दुःख की खबर क्या किया जाए गम किया जाए या ख़ुशी मनाई जाए होना क्या चाहिए इसमें कई मत हे लेकिन हम देखते हे इस दिन मोलाना लोग खूब चंदा करते हें सडकों पर प्रदर्शन करते हें जुलुस निकालते हें , कुछ मोलाना हे जो हुजुर मोहम्मद साहब की शिक्षा की चर्चा आम करते हें , सब जानते हें खुदा के सबसे अज़ीज़ पैगम्बर जिनके माध्यम से खुदा ने इस्लाम की शक्ल सूधारने के लियें कुरान के रूप में एक कानून एक आदेश एक निर्देश दिया वोह पैगम्बर हुजुर मोहम्मद सल्ललाहो अलेह वसल्लम हें लेकिन बारावफात सरकारी