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Showing posts from November 19, 2010

आह

बहुत समय से युवती की व्यथा लिख रही थी ! आज दिल ने कहा क्यु  न मर्द की आह भी लिख डालू !  हम कहते हैं की मर्द बेवफा होता है ! तो क्या उनके  सीने  मै दर्द नहीं होता है ? ओरत तो अपने दर्द को आंसुओ से बयाँ कर देती है ! मर्द का व्यक्तितव तो उसे इसकी भी इज्ज़ाज़त नहीं देता !  कहाँ समेटता होगा वो इस दर्द को ? वकत के साथ साथ सबका  छुटता हुआ साथ ! किसी से कुछ भी तो नहीं कह पाता है वो , बस अपने आपको अपने मै समेटता चला जाता है ! अपनी भावनाओ को किसी से कह भी नहीं पाता उसे भी तो सहानुभूति , प्यार की जरुरत होती होगी न फिर वो बेवफा केसे हो सकता है ? हमारा प्यार जब उसे हिम्मत दे सकता है तो वही प्यार उसे मरहम क्यु  नहीं  ?