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Showing posts from November 13, 2009

लो क सं घ र्ष !: जेलों में सड़ने को अभिषप्त हैं मुस्लिम युवा-1

जेलों में सड़ने को अभिषप्त हैं मुस्लिम युवा आतंक के नाम पर व्यवस्था एक समुदाय विषेश्ज्ञ को प्रताड़ित करने के लिए कौन - कौन से तौर - तरीके अपना सकती है , वह हाल की कुछ घटनाओं से समझा जा सकता है। आतंकी घटनाओं के नाम पर पुलिस ने थोक के भाव मुस्लिम युवको की गिरफ्तारी की। पुलिस व सत्ता का यह उत्पीड़न यहीं नहीं रूका बल्कि एक सोची - समझी साजिष के तहत उन पर इतने केस लाद दिए गए ताकि वह जीवन भर जेल में सड़ने पर मजबूर हों। अगस्त 2009 में उर्दू मासिक पत्रिका अफकार - ए - मिल्ली में अबु जफर आदिल आजमी का एक महत्वपूर्ण लेख प्रकाषित हुआ। इसका अंग्रेजी अनुवाद मुमताज आलम फलाही ने किया। प्रस्तुत है उसका हिंदी रूपान्तरण - यह सच है कि अन्याय व दुहारे मापदंडों के साथ कोई भी समाज बहुत दिन तक नहीं चल सकता। दुर्भाग्य से भारत तेजी से इन्हीं मापदंडों की ओर बढ़ रहा है। आंतकवाद के मामले में मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारी व न्याय में पुलिस , प्रषासन व न्यायापालिका का द

बाल दिवस

करते है बंदना हम॥ तुम दीप बनके दमको॥ करते है साधना हम॥ तुम फूल बन गामको॥ खुशिया हँसे तुम्हारी॥ तुम चाँद बन चमको॥ छूटे रहो शिखर को॥ तुम ज्ञान लेके निकलो॥ यही दुआ मेरी है ... तुम महान बन के ॥ निकलो॥

मेरे बच्चो भविष्य तुम्हारा॥

मेरे बच्चो भविष्य तुम्हारा॥ उजाले से भरा रहेगा॥ जलेगी ज्योति ज्ञान की॥ मुख मंडल खिला रहेगा॥ सच करोगे सपना॥ जो सजा के बैठे द्वारे॥ अब तेरे अधीन है वे॥ तुम उनके हो प्राण प्यारे॥ फूलो की खुशबू का॥ चमन मिला रहेगा॥