कर्म -अकर्म ---- कर्म निम्न प्रकार के होते हैं - -- १ ।- कर्म --जो प्राणी के नित्य-नैमित्तिक कर्म होते हैं , खाना,पीना, सोना ,मैथुन ,सुरक्षा , आदि-आदि जो प्रत्येक जीव करता है , वनस्पति से लेकर मानव तक| २ .- सकर्म -जो मूलतः मानव करता है -सामाजिक दायित्व वहन, नागरिक दायित्व ,पारिवारिक दायित्व जो जीवन में आवश्यक हैं | ३ .- सत्कर्म - जो मानव ,सामान्य कर्मों सेऊपर उठकर , समाज, देश,धर्म ,मानवता के लिए विशिष्ट भाव से करता है जो उसे विशेष व महापुरुषों की श्रेणी में लाता है। ४ .- कुकर्म या दुष्कर्म --जो मानव को हैवान व पशुतुल्य बनाते हैं ,और मानवता,देश,समाज ,मानव के प्रति अपराध युत होते हैं | ५ । अकर्म - - जो व्यर्थ के कर्म होते हैं व मानव को उनसे बचना चाहिए , ये देखने में अहानिकारक होते है सिर्फ़ क्षणिक मनोरंजन कारक ,परन्तु वास्तव में ये समाज के लिए दूरंत-भाव में अत्यन्त हानिकारक व घातक हैं, क्योंकि ये व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप में कुकर्म करने को प्रेरित करते हैं । , ------ आजकल टीवी , रेडियो , मोबाइल आदि पर अत्यधिक मनोरंजन , रेअलिटीशो में बच्चों , य