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Showing posts from October 7, 2009

आज की बात

कुछ लोग यू ही हमसे खफा है हर एक से अपनी भी तबियत नही मिलती देखा था जिसे हमने कोई ऊर था शायद वो कूँ है जिससे मेरी सूरत नही मिलती हस्ते हुए चेहरों से है बाज़ार की जीनत रोने को यंहा वैसे भी फुर्सत नही मिलती कुंवर समीर शाही

कर्म- अकर्म --

कर्म -अकर्म ---- कर्म निम्न प्रकार के होते हैं - -- १ ।- कर्म --जो प्राणी के नित्य-नैमित्तिक कर्म होते हैं , खाना,पीना, सोना ,मैथुन ,सुरक्षा , आदि-आदि जो प्रत्येक जीव करता है , वनस्पति से लेकर मानव तक| २ .- सकर्म -जो मूलतः मानव करता है -सामाजिक दायित्व वहन, नागरिक दायित्व ,पारिवारिक दायित्व जो जीवन में आवश्यक हैं | ३ .- सत्कर्म - जो मानव ,सामान्य कर्मों सेऊपर उठकर , समाज, देश,धर्म ,मानवता के लिए विशिष्ट भाव से करता है जो उसे विशेष व महापुरुषों की श्रेणी में लाता है। ४ .- कुकर्म या दुष्कर्म --जो मानव को हैवान व पशुतुल्य बनाते हैं ,और मानवता,देश,समाज ,मानव के प्रति अपराध युत होते हैं | ५ । अकर्म - - जो व्यर्थ के कर्म होते हैं व मानव को उनसे बचना चाहिए , ये देखने में अहानिकारक होते है सिर्फ़ क्षणिक मनोरंजन कारक ,परन्तु वास्तव में ये समाज के लिए दूरंत-भाव में अत्यन्त हानिकारक व घातक हैं, क्योंकि ये व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप में कुकर्म करने को प्रेरित करते हैं । , ------ आजकल टीवी , रेडियो , मोबाइल आदि पर अत्यधिक मनोरंजन , रेअलिटीशो में बच्चों , य

इस्लाम व विश्व की अन्य सभ्यताओं में नारी की स्थिति की तुलना Compersion Between Islam & Other Civilization

" भूतकाल में स्त्रियों का अपमान किया जाता था और और उनका प्रयोग केवल काम वासना के लिए किया जाता था | " इतिहास से लिए निम्न उदहारण इस तथ्य की पूर्ण व्याख्या करते हैं कि पूर्व की सभ्यता में औरतों का स्थान इस क़दर गिरा हुआ था कि उनको प्राथमिक मानव सम्मान भी नहीं दिया गया था - बेबीलोन सभ्यता औरतें अपमानित की जातीं और बेबिलोनिया के कानून में उनको हक और अधिकार से वंचित रखा जाता था | यदि कोई व्यक्ति किसी औरत की हत्या कर देता था तो उसको दंड देने के बजाये उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया जाता था | यूनानी सभ्यता इस सभ्यता को प्राचीन सभ्यताओं में अत्यंत श्रेष्ट माना जाता है| इस 'अत्यंत श्रेष्ट' व्यवस्था के अनुसार औरतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता था और वे नीच वस्तु के रूप में देखी जाती थी | यूनानी देवगाथा में 'पान्डोरा' नाम की एक काल्पनिक स्त्री पूरी मानवजाति के दुखों की जड़ मानी जाती है | यूनानी लोग स्त्रियों को पुरुषों के मुकाबले तुच्छ मानते थे | हालाँकि उनकी पवित्रता अमूल्य थी और उनका सम्मान किया जाता था, लेकिन बाद में यूनानी लोग अंहकार और काम वासना मे

वे सेम्पले जीते है..

वे सेम्पल जीते है॥ उनका अजब तराना है॥ उनकी प्यारी मुस्कान॥ उनका गजब का गाना है॥ वे सुंदर लगते है ,, उनके दर पे जाना है॥ उनकी प्यारी लगाती बोली॥ उन्हें दिल में बसाना है॥ वे बातें करते हंस हंस कर॥ उनका अचरज फ़साना है॥ वे तकरार कभी न करते ॥ उनकी बाहों में जाना है॥ ये प्यार बड़ा बेदर्दी॥ जो बेसुरा ज़माना है॥ मै उनकी बनी दीवानी॥ अब सपने सजाना है॥ एक दिन सज धज कर॥ उनके घर जो जाना है,, वे बने देश की उपमा ॥ हमें नाम कमाना है,, मिले सभी वह खुशिया॥ हमें घर द्वार बसाना है,,,

करवा चौथ..

कर कर्मो का करवा चौथ ॥ आज मनायेगी सुहागिन॥ पति की लम्बी उम्र का॥ गीत जायेगी सुहागिन॥ घर में सदा खुशिया आए॥ एहसास करायेगी सुहागिन॥ सही path पर चले सदा॥ seekh sekhaayegee suhagin॥ दुःख कभी fatke नही dwaare॥ वह दीप jalaayegee सुहागिन॥ करके सोलह श्रृंगार आज॥ करवा मनायेगी सुहागिन॥ प्रिये का मुखडा देख कर॥ भोग लगायेगी सुहागिन॥