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Showing posts from December 31, 2010
नया पुराना हुआ हे तो फिर नया तो आएगा ही भाईयों बहनों जवानों और बुजुर्गों और जो भी हों सभी को इस नये साल की शुरुआत पर राम राम , आदाब अर्ज़ हे ,सत्सिरी अकाल , सभी को नववर्ष शुभ हो यह तो हुई ओपचारिकता अब हम कम की बात करें सब जानते हें के जो नया होता हे वोह पुराना होता हे , जो आता हे वोह जाता हे और सालों का आना जाना एक प्राणी परम्परा हे जीने की गणना गिनती हे लेकिन अब साल के आने जाने और साल के मिलन की रात को धमाचोकड़ी और धूमधाम जिसमे शराब और शबाब न हो तो सब बेकार हे की सोच बन गयी हे क्या यह सही हे क्या यह गलत हे जरा अपने दिल पर हाथ रखो और दिल से पूंछ डालो जनाब जो जवाब मिले बताना जरुर । दोस्तों मेरे भी सीने में एक बीमार दिल हे जो कभी कभार धडकता हे मेने इसीलियें अपने सीने पर हाथ रखा धक धक के आलावा कुछ सुनाई नहीं दिया फिर दिमाग से आवाज़ आई के यह सब जो हो रहा हे दिखावा हे छलावा हे गलत हे , दुबारा जवाब आया सही यही हे , विश्व की बात तो छोड़े देश की परम्परा की बात करें हमारे देश में हम काहे कई सो वर्ष तक अंग्रेजों के गुलाम रहे हों लेकिन अपना धर्म अपनी परम्परा हमने नहीं बदली हे हाँ कुछ शोक हे

लाइव ट्रेलर को भी आप सब प्यार दें.

हिन्दुस्तान का दर्द मंच का निर्माण लगभग 2 साल पहले किया गया था,इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी के लेखकों एवं पाठकों को एक ऐसा मंच उपलब्ध करना था जो की रचनात्मकता से भरा हो जो देश की समस्याओं एवं दर्द की बात करता हो,अभी तक अगर दिल पर हाथ रखकर कहूं तो हिन्दुस्तान का दर्द उम्मीदों पर खरा उतरा है लेकिन सारे लक्ष्य अभी यहाँ पूरे नहीं होते,इसके लिए अभी हम सब को मिलकर काफी कुछ करना है और बह हम करके ही रखेंगे. अब हम बात करते है लाइव ट्रेलर    की यह एक ऐसा ब्लॉग है जिसके माध्यम से हम सिनेमा की ख़बरों को आप तक पहुँचाएँगे लेकिन यह एक सामूहिक ब्लॉग नहीं है यहाँ हम सिर्फ उन लेखकों की बात सुन सकेंगे जो सिनेमा की सार्थकता को एक पूर्णता के साथ कहने की कला रखते हो,सिनेमा के इतिहास और विकास के बारें में गहरी बात बता सकते हो.. आप  लोगों से हम एक और आशा करते है की हिन्दुस्तान का दर्द और लाइव ट्रेलर को अपने ब्लॉग पर जगह दें जिससे की हमारी कोशिश अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें..

स्वागत 2011

चली चली देखो चली चली  इतिहास के पनों मै अपना नाम ................ दर्ज करने 2010 चली  ! सुख - दुख का पिटारा  हमको देकर ............ वो देखो...वो  अपने देश चली ! कहाँ हम भूलेंगे अब उसको  हमने ही तो जोड़ा था उसको  जेसे पतंग  संग डोर बंधी ,  चली - चली , चली - चली  देखो वो तो हमसे कितनी दूर चली ! कितना समर्पण उसमे देखो  अपना सब कुच्छ हमको सोंप  वो ख़ाली हाथ ही पार गई  चली चली , चली चली  बिटिया बन वो तो  ससुराल चली ! न घमंड न कोई बेर  बस इंसा की ये हाथों की मेल   सबको सब कुच्छ दे ही दिया   फिर से दामन अपना समेट  इस दुनियां से नाता  तोड़ चली   चली चली  , चली  चली 2011 को अपना काम सोंप चली ! कानों मै चुप से स्वागत ही  कहा  फिर अपना दामन धीरे से छुडा ............ 2011  के शोर मै खो सी गई !  देखो तो वो सच मै चली चली  ! आओ हम भी कुच्छ ........... एसा करे 2010  को प्यार से अलविदा कहें ! नव वर्ष के स्वागत मै लगें ! बधाई दोस्तों !

संस्‍कृतपृष्‍ठसंकलक पर इस माह प्रस्‍तुत लेखों की सूची ।।

प्रिय बन्‍धु  आपके अपने संस्‍कृतपृष्‍ठसंकलक संस्‍कृतम्-भारतस्‍य जीवनम् पर इस माह प्रकाशित लेखों की सूची प्रस्‍तुत कर रहा हूँ  ।। बृहस्पतिवार, ३० दिसम्बर २०१० नूतनस्य आगमने पुरातनस्य उपेक्षा न भवेत् । श्रीकृष्‍ण उवाच (भगवद्गीता) ।। शारदामहोदयया प्रेषिता: श्‍लोका: । नूतन आंग्ल वर्षस्‍य आरम्भे एव भारतस्य अभ्‍यास (टेस्‍ट)क्रिकेटकीडायां प्रथमस्थानम् । मंगलवार, २१ दिसम्बर २०१० श्री हनुमते नम: सोमवार, २० दिसम्बर २०१० संस्‍कृतपरिवार: महती शुभकामना: ददाति ।-राष्‍ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) रविवार, १९ दिसम्बर २०१० शिव स्‍तुति: । बृहस्पतिवार, १६ दिसम्बर २०१० राष्‍ट्रसेवाया: कृते पन्‍थाह्वानम् ।। बुधवार, १५ दिसम्बर २०१० रुप्यकैः मनःशान्तिः । सोमवार, १३ दिसम्बर २०१० गोष्ठी् आयोजिता –संस्कृ्तभारती (विश्व-संस्कृत-पुस्तकमेला  संस्कृंतभारती बालसंस्‍कार केन्द्र स्वपृष्‍ठस्‍योपरि संस्‍कृतम्-भारतस्‍य जीवनम् शब्‍दचित्रं संस्‍थाप्‍य संस्‍कृतस्‍य प्रसाराय योगदानं ददतु । ।। एका नूतनी उपलब्धि: । शुक्रवार, १० दिसम्बर २०१० भारतेन विजयं प्राप्तम् बृहस्पतिवार, ९ दिसम्

परमार्थ ..श्याम सवैया..-डा श्याम गुप्त...

वर्ष की अंतिम पोस्ट---परमार्थ को यदि हम जीवन लक्ष्य बनाएं तो सभी उपलब्धियों की महत्ता है --- श्याम सवैया ....परमार्थ.... (श्याम सवैया छंद—६ पन्क्तियां ) प्रीति मिले सुख-रीति मिले, धन-मीत मिले, सब माया अजानी। कर्म की,धर्म की,भक्ति की सिद्धि-प्रसिद्धि मिले सब नीति सुजानी। ज्ञान की,कर्म की,अर्थ की रीति,प्रतीति सरस्वति-लक्ष्मी की जानी। ऋद्धि मिली,सब सिद्धि मिलीं, बहु भांति मिली निधि वेद बखानी । सब आनन्द प्रतीति मिली, जग प्रीति मिली बहु भांति सुहानी । जीवन गति सुफ़ल सुगीत बनी, मन जानी, जग ने पहचानी ॥ जब सिद्धि नहीं परमार्थ बने, नर सिद्धि-मगन अपने सुख भारी । वे सिद्धि-प्रसिद्धि हैं माया-भरम,नहिं शान्ति मिले,बहुविधि दुखकारी। धन-पद का,ग्यान व धर्म का दम्भ,रहे मन निज़ सुख ही बलिहारी। रहे मुक्ति के लक्ष्य से दूर वो नर,पथ-भ्रष्ट बने वह आत्म सुखारी। यह मुक्ति ही नर-जीवन का है लक्ष्य,रहे मन,चित्त आनंद बिहारी। परमार्थ के बिन नहिं मोक्ष मिले, नहिं परमानंद न कृष्ण-मुरारी॥
तिरंगे की रक्षा करना दोस्तों बस इतनी सी बात आँधियों को बता कर रखना रौशनी होगी इसलियें आँधियों में भी चिरागों को जलाए रखना अपनी जान अपना लहू देकर हिफाजत की हे हमने जिसकी बस उस हिन्दुस्तान को बनाये रखना इसकी शान, बान ,आन हे तिरंगा इस तिरंगे को दोस्तों अपने दिल में बसाये रखना । नया साल बहुत बहुत मुबारक हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अब तो अपनी चवन्नी भी चलना बंद हो गयी यार दोस्तों पहले कोटा में ही किया पुरे देश में अपनी चवन्नी चलती थी क्या अपुन की हाँ अपुन की चवन्नी चलती थी ,चवन्नी मतलब कानूनी रिकोर्ड में चलती थी लेकिन कभी दुकानों पर नहीं चली , चवन्नी यानी शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम हो गयी की तरह बहुत बहुत खास बात थी और चवन्नी को बहुत इम्पोर्टेंट माना जाता था इसीलियें कहा जाता था के अपनी तो चवन्नी चल रही हे । लेकिन दोस्तों सरकार को अपनी चवन्नी चलना रास नहीं आया और इस बेदर्द सरकार ने सरकार के कानून याने इंडियन कोइनेज एक्ट से चवन्नी नाम का शब्द ही हटा दिया ३० जून २०११ से अपनी तो क्या सभी की चवन्नी चलना बंद हो जाएगी और जनाब अब सरकरी आंकड़ों में कोई भी हिसाब चवन्नी से नहीं होगा चवन्नी जिसे सवाया भी कहते हें जो एक रूपये के साथ जुड़ने के बाद उस रूपये का वजन बढ़ा देती थी , दोस्तों हकीकत तो यह हे के अपनी तो चवन्नी ही क्या अठन्नी भी नहीं चल रही हे फिर इस अठन्नी को सरकार कानून में क्यूँ ढो रही हे जनता और खुद को क्यूँ धोखा दे रही हे समझ की बात नहीं हे खेर इस २०१० में नही अपनी चवन्नी बंद होने का फरमान जारी हुआ हे जिसक