नया पुराना हुआ हे तो फिर नया तो आएगा ही भाईयों बहनों जवानों और बुजुर्गों और जो भी हों सभी को इस नये साल की शुरुआत पर राम राम , आदाब अर्ज़ हे ,सत्सिरी अकाल , सभी को नववर्ष शुभ हो यह तो हुई ओपचारिकता अब हम कम की बात करें सब जानते हें के जो नया होता हे वोह पुराना होता हे , जो आता हे वोह जाता हे और सालों का आना जाना एक प्राणी परम्परा हे जीने की गणना गिनती हे लेकिन अब साल के आने जाने और साल के मिलन की रात को धमाचोकड़ी और धूमधाम जिसमे शराब और शबाब न हो तो सब बेकार हे की सोच बन गयी हे क्या यह सही हे क्या यह गलत हे जरा अपने दिल पर हाथ रखो और दिल से पूंछ डालो जनाब जो जवाब मिले बताना जरुर । दोस्तों मेरे भी सीने में एक बीमार दिल हे जो कभी कभार धडकता हे मेने इसीलियें अपने सीने पर हाथ रखा धक धक के आलावा कुछ सुनाई नहीं दिया फिर दिमाग से आवाज़ आई के यह सब जो हो रहा हे दिखावा हे छलावा हे गलत हे , दुबारा जवाब आया सही यही हे , विश्व की बात तो छोड़े देश की परम्परा की बात करें हमारे देश में हम काहे कई सो वर्ष तक अंग्रेजों के गुलाम रहे हों लेकिन अपना धर्म अपनी परम्परा हमने नहीं बदली हे हाँ कुछ शोक हे