आज मनुष्ये के जीवन संरचना मै इतनी तेज़ी से बदलाव आ रहा है की वो अपने जीवन मै होने वाले उथल पुथल की तरफ भी ध्यान ही नहीं दे पा रहा है ! वह तो बस एक रेस मै दोड़ते हुए घोड़े की तरह खुले मैदान मै बस भागता ही चला जा रहा है और वो इस बात से बिलकुल बेखबर है या ये कहो की वो इसकी खबर रखना भी नहीं चाहता की वो इस अंधी दोड़ मै कितने अपनों का साथ गंवाता चला जा रहा है इसका पता उसे तब चलता है जब वो उन सबसे बहुत दूर चला जाता है और वक़्त उनके हाथ से निकल चुका होता है उनके एहसास उन्हें तब झकझोरते हैं जब वो अपनेआप से थक चुके होते हैं और उन्हें उन एहसासों की जरुरत पड़ती है तब वो चाह कर भी उन पलों को वापस नहीं ला पाते ! क्युकी की कहते हैं न बीते पल कभी लोट कर नहीं आते बस यादे ही रह जाती हैं.................. बिलकुल इसी तरह पर काश इसका एहसास उन्हें पहले से हो जाये ! हम इस मुद्दे को ही ले लेते हैं ! आज हमारे समाज मै पति - पत्नी दोनों पैसा कमाने मै इस कदर डूब गये हैं की उन्हें अपने बच्चों तक की खबर नहीं है की वो किस दिशा मै आगे बढ रहे