इतनी आपा-धापी और उथल-पुथल भरे राजनितिक व आर्थिक परिदृश्य में बांकी चिन्ताओ से परे 'सेक्स चर्चा ' -स्त्री विमर्श की आड़ में खूब फल- फूल रहा है। क्या आउटलुक और क्या ब्लॉग ! मोहल्ले की फैलाई इस बीमारी ने किस -किस को संक्रमित कर दिया कहना मुश्किल है ! इसके बरक्स कई अन्य ब्लोगरों की सामाजिक सरोकार वाले आलेख एक अदद टिप्पणी की बाट जोहते -जोहते सरकारी दफ्तरों के पुरानी फाइल की भांति धूल फांक रहा है । 'मोहल्ले' पर सविता भाभी को लेकर बड़ा बबाल मचा । सम्बंधित पोस्ट पर गर्दाउड़ान गाली-गल्लम भी हुआ । सेक्स चर्चा को जिस परिप्रेक्ष्य में विचार -विमर्श का केन्द्र बिन्दु बनाया गया , उसमें अधिक से अधिक टिप्पणी पाने अतिरिक्त कोई और उद्देश्य नहीं दिखता है । मुझे सेक्स को लेकर बहस करने से परहेज नहीं है । निश्चित रूप से आज सेक्स को लेकर हमें नए सिरे से सोचने की , नया दृष्टिकोण अपनाने की जरुरत है। लेकिन उद्देश्य सार्थक हो । समय चक्र परिवर्तित हुआ है , जिस वज़ह से अनेक पुरानी परम्पराएँ टूटती नज़र आ रही है। कल का सम्भोग आज सेक्स का रूप ले चुका है। सेक्स केवल बंद कमरों के भीतर बिछावन तक सीमित न ह