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Showing posts from February 7, 2009

"सेक्स" एकदम बिंदास अ.. अ .अ.. अ.. अ ......बोल

इतनी आपा-धापी और उथल-पुथल भरे राजनितिक व आर्थिक परिदृश्य में बांकी चिन्ताओ से परे 'सेक्स चर्चा ' -स्त्री विमर्श की आड़ में खूब फल- फूल रहा है। क्या आउटलुक और क्या ब्लॉग ! मोहल्ले की फैलाई इस बीमारी ने किस -किस को संक्रमित कर दिया कहना मुश्किल है ! इसके बरक्स कई अन्य ब्लोगरों की सामाजिक सरोकार वाले आलेख एक अदद टिप्पणी की बाट जोहते -जोहते सरकारी दफ्तरों के पुरानी फाइल की भांति धूल फांक रहा है । 'मोहल्ले' पर सविता भाभी को लेकर बड़ा बबाल मचा । सम्बंधित पोस्ट पर गर्दाउड़ान गाली-गल्लम भी हुआ । सेक्स चर्चा को जिस परिप्रेक्ष्य में विचार -विमर्श का केन्द्र बिन्दु बनाया गया , उसमें अधिक से अधिक टिप्पणी पाने अतिरिक्त कोई और उद्देश्य नहीं दिखता है । मुझे सेक्स को लेकर बहस करने से परहेज नहीं है । निश्चित रूप से आज सेक्स को लेकर हमें नए सिरे से सोचने की , नया दृष्टिकोण अपनाने की जरुरत है। लेकिन उद्देश्य सार्थक हो । समय चक्र परिवर्तित हुआ है , जिस वज़ह से अनेक पुरानी परम्पराएँ टूटती नज़र आ रही है। कल का सम्भोग आज सेक्स का रूप ले चुका है। सेक्स केवल बंद कमरों के भीतर बिछावन तक सीमित न ह

भारत-बखान

भारत वर्ष की महानता को समर्पित 'मेरे मंथन' मेरा उद्देश्य देश में हिंदी साहित्य के बल पर वैचारिक आंधी फैलाना हैं,सुविचारों की बोवनी कर अच्छी फसल उगाना हैं,जिसका उपभोग कर लोग बीती पीड़ी का नाम सम्मान से ले और भारत वर्ष के उस अन्तराल पर खड़े हो जिसके दूसरी और जगतगुरु का ताज फिर सिरमौर दिखाई पड़े,साहित्य संस्कृति की सही आत्मा लिए हैं हमारा भारत वर्ष, यही शक्तिया हैं, जो दूसरा कोहिनूर ओए तख्त-ऐ-ताउस नहीं बन शक्ति चाहे तथाकथित महाशाक्तिया अपने खजाने लुटा दे, 'भारतीयता' मानव आत्मा दूसरा पावन रूप हैं, जो परम पिता परमेश्वर ने संवारा हैं. यही वो देश हे जहा एक व्यक्ति के सड़क पर गिर जाने के बाद कई हाथ बिना किसी स्वार्थ के बढ जाते हैं, एक पल को लगता हैं, जेसे वो पथिक अपने परिवार के साथ होने के विश्वास के कारण ही निश्चिंत गिरा हो, इस भरोसे के साथ की कोई तो संभालेगा, कहन- फिक्र करू ज़ख्मो की,मुझे फुर्सत नहीं मरहम लि ए कई ह ाथ,हाथ लगे हैं इन सहयोग भावो के कारण हर भारतीय दर्द के लिए यह कहता है, इतनी परस्पर आत्मीयता हैं- मुझे क्या पता दर्द क्या हैं ?- शायद , चुभन टकराते भावो की हैं । घुटन

आज भी हावी है अंधविश्वास

आधुनिक समाज चाहे प्रगति के जितने दावे करे मगर मध्यप्रदेश में अंधविश्वास की जड़ें अब भी गहरी हैं। इसका प्रमाण गुरुवार को मंदसौर की पिपलिया मंडी में देखने को मिला जहां पुलिस की मौजूदगी में हत्या के एक आरोपी ने समाज की पंचायत में आग से तपकर सुर्ख लाल हो चुकी सलाखों को हाथों में उठाकर अपनी बेगुनाही का सबूत दिया।जानकारी के मुताबिक पिपलिया मंडी में जनवरी माह में घनश्याम नाम के एक व्यक्ति की हत्या हुई थी। इस मामले में पुलिस ने अन्य आरोपियों के साथ लाल सिंह को भी आरोपी बनाया। जानकारी के मुताबिक पिपलिया मंडी में जनवरी माह में घनश्याम नाम के एक व्यक्ति की हत्या हुई थी। इस मामले में पुलिस ने अन्य आरोपियों के साथ लाल सिंह को भी आरोपी बनाया। अंधविश्वास का खुलाशा करती जोश-18 की यह रिपोर्ट । पढ़ें: एक टोटके से सुखमय जीवन में पड़ी दरार मृतक और आरोपी सिंह, दोनों का नाता बाबरी मोंगिया समाज से है। इस समाज में परम्परा है कि व्यक्ति अगर अपने को निर्दोष बताता है तो उसे पंचायत के सामने उसका प्रमाण देना होता है।बाबरी मोंगिया समाज की परम्परा के मुताबिक गुरुवार को पिपलिया मंडी में पंचायत लगी। इसमें पहुंचे लाल