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Showing posts from April 7, 2009

Loksangharsha: जूते की बेइज्जती

Loksangharsha: जूते की बेइज्जती जूते की बेइज्जती गृह मंत्री चिदंबरम देश के बारे में कम सोचते है अमेरिका की सम्रद्धि के बारे में ज्यादा सोचते है। चिदंबरम साहब देश के गृहमंत्री नही है अपितु टाटा, बिरला ,अम्बानी के गृहमंत्री है। टाटा, अम्बानी ने ओबामा को चुनाव लड़ाया था अब कांग्रेस को चुनाव लड़वा रहे है। सी.बी.आई गृहमंत्री जी की व्यक्तिगत जांच एजेन्सी की तरह काम कर रही है । अमरीकन साम्राज्यवाद के विरोध के कारण इंदिरा गाँधी की हत्या साम्राज्यवादी ताकतों ने की थी और उन्ही के इशारों पर देश को कमज़ोर करने के लिए उन्ही शक्तियों ने सिखों का नरसंहार किया था। जिसके प्रतीक जगदीश टाइटलर थे। चिदंबरम ने उनको मुक्त कराया है। बेबस आवाम या तो इन राजनेताओं के मुँह पर थूक सकती है या हथियारो के नाम पर जूते या चप्पल होते है। बुश साहब के जूते खाने के बाद चिदंबरम साहब ने खाया है।अमेरिकन साम्राज्यवाद का हर एजेंट जूता खायेगा क्योंकि मजदूर किसान जनता भुखमरी की कगार पर बढ़ रही है। जनरैल सिंह बधाई के पात्र है ॥ -----------एड़. रणधीर सिंह सुमन

आजम गढ़ या आतंक गढ़

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आमेरा घर आजम गढ़ से अस्सी किमी दूर है वहाँ पे होने वाली आतंकवादी गतिविधियों के बारे में सुनकर रोंगटे खडे़ हो जाते हैं?देश में आतंकवादी घटना कहीं पर हो उनमें हाथ इन्हीं सीम्मी मुजाहिदीनों(माध~!॒॑॓)का होता है?सबको काट देना चाहिये सीधी सी बात है उनके जिन्दा रहने से हम मर रहें हैं तो बेहतर है कि वो ही मर जाये?देश की रक्षा के बीच मौलाना मुलायम या रोमन मेम साहब या जिन्ना के दमाद{आडवानी }नहीं आ सकते?गे यहाँ

मां का दर्द

अमित कुमार दुबे वरुण गांधी आज एक ऐसा चेहरा बन गया है। जो इस चुनावी-संग्राम में पक्ष-विपक्ष के लिए सबसे पहला मुद्दा है। वरुण के जह्न में भी कभी नहीं आया होगा कि उनका बयान उन्हें हीरो और विलेन दोनों रूप में प्रस्तुत करेगा। एक छोटी से लेकर बड़ी राजनीतिक पार्टियां वरुण मुद्दे को भुनाने में लगी है। दरअसल पहले तो उत्तर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध रखी। लेकिन जब चुप्पी तोड़ी तो एक नया रूप देखने को मिला। दरअसल राज्य सरकार के समक्ष एक समस्या आ गई कि इस मुद्दे पर अगर कड़े कदम नहीं उठाए गए तो जनाधार में बट्टा लग सकता है और आनन-फानन में वरुण रासुका लगा दिया गया। वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक ही राग जप रही है कि इसके पीछे बसपा और बीजेपी की मिलीभगत है। खुद बीजेपी वरुण को लेकर पशोपेश में पड़ी है। उसे ये भी पता है कि वरुण मुद्दे पर पीलीभीत के हिन्दुओं की ही नहीं पूरे सूबे में अपना खोया जनाधार को फिर से पाया जा सकता है। लेकिन राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में हिचकिचा रही है। क्योंकि कहीं सहयोगी रूठ न जाएं। मालूम हो कि वरुण मामले पर जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी नाराजगी जाहिर कर

जूता नहीं है...ये...

सारांश - चूड़ी नहीं है...दिल है... देखो ...ये गीत तो आपने सुना ही होगा..!ठीक वही आजकल जूतों के बारे में हो रहा है..!आजकल अभिव्यक्ति का नया मध्यम बन गया है...ये जूता..!जिसे देखो वो फेंक रहा है!लेकिन जूता फेंकने के पीछे भावना कुछ और ही होती है..!जैसे की बुश साहब पर जूता इराकी निति के कारण पड़ा जबकि मंत्री जी सफाई जरनैल सिंह जी को पसंद नही आई...!लेकिन एक बात जरूर अलग है वो ये की जरनैल जी शायद केवल एक संदेश देना चाहते थे .नहीं तो...कुछ भी हो सकता था...!जबकि बुश साहब पर तो जूते पूरे .वेग से .और दो बार फेंके गए थे...!पर एक बार फेंको चाहे दो बार...धीरे फेंको चाहे जोर से...मतलब की बात ये है की ऐसा हुआ क्यों???नाराजगी की बात तो ठीक है पर इसे जायज़ नहीं ठहराया जा सकता...!अन्तराष्ट्रीय समुदाय में देश की किरकरी होगी..सो अलग...!इसलिए तो कहा गया की भावनाओं पर .कंट्रोल.....रखना सीखो...नहीं तो कहीं ऐसा नहीं हो की अगली बार प्रेस कांफ्रेस में सभी को नंगे .पाँव..ही बुलाया जाए. आगे यहाँ

आतंकवाद ......ओबामा ......अमेरिका

आईएसआई आतंकवादियों को संरक्षण और बढ़ावा दे रही है, लेकिन अमेरिका ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया। वह इस बात पर गौर करने के लिए भी तैयार नहीं है कि आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तान को वित्तीय और सैन्य सहायता उपलब्ध कराए जाने के बावजूद तालिबान की ताकत में बढ़ोतरी हुई है। पाकिस्तान को उसके हुक्मरानों की दोहरी नीति की कीमत चुकानी पड़ रही है। इसी दोहरे रवैये ने आज ऐसी हालत पैदा कर दी है कि पाकिस्तान की सत्ता आतंकवादियों के सामने इस कदर असहाय नजर आती है। इस तेजी से फैल रही आग पर काबू पाने के लिए वहां के राजनीतिक नेतृत्व को अपनी दुविधा से उबरना होगा। भारत और पाक दोनों मिलकर आतंकवाद से निबट सकते है , पर ऐसा शायद ही हो । अमेरिका को भी अपना वह चश्मा बदलना होगा जिससे उसे आतंकवाद सिर्फ दुनिया के उसी हिस्से में नजर आता है, जहां उसके सैनिक घिरे होते हैं। शुरू में लगा था की ओबामा की निति पाक के मामले

आज श्रुति परंपरा क्यों नहीं है?

विनय बिहारी सिंह ऋषि वाल्मीकि के पहले राम कथा मौखिक थी। वह जनमानस में श्रुति परंपरा से वर्षों से चली आ रही थी। लेकिन वाल्मीकि को लगा कि अब इसे लिपिबद्ध कर देना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में राम कथा सुनी नहीं पढ़ी जाएगी। वैसे तो आज भी कथा होती है और लोग सुनते ही हैं। लेकिन पहले जैसी श्रुति परंपरा आज क्यों नहीं है? वजह यह है कि सारी जानकारियां इंटरनेट के जरिए उपलब्ध हैं। लेकिन पहले के जमाने में संवाद का कोई और माध्यम नहीं था। एक दूसरे से सुन कर ही ग्यान पाया जा सकता था। आज तो हमारे पास सूचनाओं का भंडार है। जब कागज का कोई अस्तित्व नहीं था तो शिष्य गुरु से सीखी बातें कहां लिखते होंगे? जवाब है- शिष्य कुछ भी नोट नहीं करते थे। अभ्यास से उन्होंने अपना दिमाग इस तरह बना लिया था कि वे जो कुछ सुनते थे, हू-ब-हू उनके दिमाग पर अंकित हो जाता था। आज भी अगर छात्रों के लिए नियम बना दिया जाए कि उन्हें बातें ध्यान से सुननी हैं, नोट नहीं करना है तो वे भी अभ्यास करके अपनी याददाश्त तेज कर सकते हैं।

हाथ वाले भी अब हाथ काटेंगे

"निजामाबाद, 05 अप्रैल रवीवार की रात आंध्र परदेश के कांग्रेस अध्यक्ष धरम पूरी श्रीनिवास ने मुस्लिम बाहुल्य छात्र के बिच अपने भाषण मैं कहा की मैं आप के साथ हूँ, अगर वे (?) आप की ओर उंगली उठाते हैं तो मैं उनका हाथ काट दूंगा। इस बयान को लेकर वंहा काफी बवाल मचा है क्योंकि धरम पूरी श्रीनिवास निजामाबाद शहर से कांग्रेस की टिकट से विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं।उनके इस बयान की ऑडियो आंध्र परदेश के चुनाव आयोग को भाजपा के प्रत्यासी वाई नारायण लक्ष्मी ने भेजी है। सभी का कहना है की अगर एक ऐसे ही बयान को लेकर वरुण गाँधी को जेल हो सकती है NSA लग सकता है तो फिर धरम पूरी श्रीनिवास को क्यों नहीं ? धरम पूरी श्रीनिवास को भी जेल की सजा होनी चाहिए। हिंदी - अंग्रेजी राष्ट्रिय मीडिया मैं इस खबर को महत्व नहीं देने से शायद ये मामला ज्यादा प्रकाश में नहीं आया। साथ ही आंध्र पुलिस ने इस घटना का संज्ञान में नहीं लिया। आप इस समाचार को और विस्तार से "द हिन्दु" पर भी पढ सकते है: http://www.thehindu.com/2009/04/07/stories/2009040752430300.htm - प्रदीप श्रीवास्तव

चिदंबरम दुसरे भारतीय जिन पर जूता फेंका गया

जूते खाने वालों में गृहमंत्री पी चिदंबरम दूसरे भारतीय हस्ती बन गए हैं । कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कोंफ्रेंस के दौरान दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने गृह मंत्री के ऊपर जूता चला दिया । हालाँकि बुश की तरह गृहमंत्री भी अपनी फुर्ती से बच गए । जरनैल सिंह ने मीडिया को बताया कि "उसे कांग्रेस से कोई नाराजगी नही है । लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से लोगों को सी बी आई क्लीन चिट दे रही है वो ग़लत है और इसी को लेकर गृहमंत्री पर जूता फेंका । भले ही मेरा तरीका एक पत्रकार होने के नाते ग़लत था । पर, मुझे अफ़सोस नही है । " दरअसल , कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई थी । इस दौरान ८४ के सिख दंगो के ऊपर चर्चा होने लगी । सवाल -जवाब के दौरान बढती गहमा-गहमी के बीच पेशे से पत्रकार जरनैल सिंह ने विरोध जताते हुए गृहमंत्री चिदंबरम के ऊपर जूता चला दिया । चिदंबरम का नाम जूते खाने वाले भारतीयों में दूसरे और विश्व स्तर पर चौथे चर्चित व्यक्ति हैं । इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति 'जोर्ज बुश' , चीन के प्रधान मंत्री 'वेन जिअवाओ ' और बुकर सम्मान प्राप्त अरुंधती राय

स्टूडेंट से छेड़छाड़ का आरोप

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बीसीसीआई का तोहफा, खिलाड़ी होंगे मालामाल

न्यू जीलैंड की जमीन पर 41 साल बाद टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचने वाली टीम इंडिया के ऊपर पैसों की बरसात होना शुरू हो गई है। यह शुरुआत की है खुद बीसीसीआई ने। टेस्ट श्रृंखला जीतने के तुरंत बाद बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को तोहफा दे डाला। बोर्ड ने घोषणा की कि इस जीत के बाद टीम के सपोर्ट स्टाफ को 10 लाख रुपए की राशी दी जाएगी। जबकि धोनी और उनके धुरंधरों को 15 लाख रुपए इनाम में मिलेंगे। गौरतलब है कि 1968 के पहले कीवी दौरे में नवाब पटौदी की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड में 3-1 से टेस्ट सीरीड जीती थी। इसके बाद कई बार भारत वहां खेलने गया लेकिन हर बार हार का मुंह ही देखना पड़ा। इस बार भी न्यूजीलैंड दौरे पर जाने से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि यह दौरा काफी कठिन होगा और टीम इंडिया को खासी मेहनत करनी पड़ेगी। पहले दो टी-20 मैच हारने के बाद कीवी दौरा कठिन लग भी रहा था। मगर जिस तरह से टीम इंडिया ने पहले एक दिवसीय श्रृंखला और फिर टेस्ट सीरीज पर कब्जा जमाया इससे न सिर्फ बीसीसीआई बल्कि पूरा देश जश्न मना रहा है। यदि आप भी टीम इंडिया की जीत पर उन्हें बधाई देना चाहते हैं तो हमें लिख भेजें अपने संदेश । आगे पढ़े

पंजाब और भगत सिंह

पंजाब और भगत सिंह पंजाब ने झेला कभी दंस आतंक का तो कभी झेला दंस सियासत का आज फिर रो रहा है पंजाब खून के आसू खो कर अपना इक और लाल चलता था वो कभी इसके सीने पर लाने को क्रांति बदलाव की आवाज था वो अवाम की था वो उनका पहरेदार

यह एक प्रार्थना है, अनुरोध है, गुज़ारिश है साम्प्रदायिकता के सदस्यों से !

यह एक प्रार्थना है, अनुरोध है, गुज़ारिश है साम्प्रदायिकता के सदस्यों से ! क्योंकि मैं भी एक भारतीय हूँ। भारत की धरती से प्यार करता हूं, इस पावन धरती की स्वतंत्रता में अपने पूवर्जों के बलिदान हमें याद हैं। फिर इतिहास ने यह भी देखा है कि हमने अपने देश में शताब्दियों से अनेकता में एकता का प्रदर्शन किया है। हर धर्म एवं पथ के मानने वाले शान्ति के साथ इस धरती पर रहते आ रहे हैं। इस नाते मैं अपनी भावना जो दिल की गहराई से निकली हुई है साम्प्रदायिकता के सदस्यों के नाम पेश करना चाहता हूं।  आपने मुम्बई में रहने वाले यूपी बिहार के लोगों को मुम्बई से निकालने की योजना बनाई, पूना के लोहगाँव के मुसलमानों को आपने जन्म-भूमि से निकलने पर विवश किया। औऱ अब एक नया शोशा यह छोडा है कि मुसलमान हिन्दुओं को काफिर कहना छोड़ दें और भारत को दारुल हर्ब भी न कहें|  प्रिय बन्धुओ! मैं यही समझता हूं कि आपको मनवता से प्यार है। इस नाते आपने शत्रुता में यह बात न कही होगी, शायद यह आपत्ती अज्ञानता के कारण है। अतः यदि आपने ऐसा बयान अज्ञानता के कारण दिया है तो इसका निवारण किए देता हूं।   हिन्दुस्तान दारुल हर्ब नहीं   जहां तक

दोहे ; तन और मन आचार्य संजीव 'सलिल'

प्रश्न चिन्ह मेरा तन मैं बेचता, तुमको क्यों आपत्ति? तुमने कब किसकी हरी, बोलो कहीं विपत्ति? तन की करते फ़िक्र तुम, मन को दिया बिसार। मन ही मन, मन पर किए, कितने ? तन नश्वर बेचा अगर, तो क्यों हाहाकार। शाश्वत निर्मल आत्मा, उसकी करो सम्हार॥ नारी के कौमार्य पर, क्यों रखता तू दृष्टि? पगले क्यों यह भूलता, हुई वहीं उत्पत्ति॥ नर का यदि ख़ुद पर हुआ, मान्य सदा अधिकार। नारी के हक का किया, बोलो क्यों प्रतिकार? --दिव्यनर्मदा.blogspot .com **********************************
फिर भी हम चिल्लाते , अपना गाल बजाते जब -जब देश मैं गलत का फैलाव हुआ ,हमारा अपनी जमीर से अलगाव हुआ । बेचा खुद के अहसासों कोचांदी की टुकडो के खातिर , गरीबो के पैसों से शेयरबेचते बाजार के शातिर । हल्का से एक झटका लगाबड़ा पेड़ कट कर गिरा , हमारी अर्थ जगत की चूल हिल गईगुरु की गुरुतई काम न आई । तब चेलो की की कैसी प्रभुताई ! फिर भी हम चिल्लाते ,अपना गाल बजाते । देश के चंद अमीरों में ,खुद को आमिर जतलाते । सोने को जमीं के लाले चाँद पे जाने का गौरव गाते । खाने को अन्न नहीं पर ,अरबों में नेता चुन कर लाते । धन्य हमारा लोकतंत्रहै धन्य हमारा देश स्वतंत्र ! है धन्य हमारी जनता !हैं धन्य हमारे नेता ! अब , बस बहुत हो चुका अब भी जागो युवा ,जगाओ अंदर का शिवा । खोलो मन के द्वार हो जाने दोएक बार फिर इस जग का उद्धार ।