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Showing posts from February 23, 2011

महिला पत्रकारों के प्रति लोगों का नजरिया

रीता विश्वकर्मा पत्रकारिता (मीडिया/प्रेस) में महिलाओं का प्रवेश और योगदान बड़े शहरों में अब आम बात हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में ठीक इसका उल्टा हो रहा है। लड़कियों को पढ़ाने के पीछे माँ-बाप एवं उनके घर वालों का महज एक ही उद्देश्य है कि शादी के लिए पढ़ाई की सनद काम आए। कुछ तो आर्थिक तंगी के कारण अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाते वहीं अधिकांश लोग कन्याओं को इस लिए पढ़ाते हैं कि जब वर ढूंढने जाएँ तो उसकी लम्बी-चौड़ी डिग्रियाँ वर-पक्ष को सुनाकर ‘दहेज’ कम करवा सकें। बहरहाल मैं अपने शहर में ही नहीं जिले में एक मात्र महिला पत्रकार हूँ वह भी सक्रिय। एक छोटे अखबार की संवाददाता हूँ और वेबन्यूज पोर्टल डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट रेनबोन्यूज डॉट इन की संपादक हूँ। पत्रकारिता जगत में पुरूष प्रधानता स्पष्ट परिलक्षित हेाती है। पहली बात तो यह कि पढ़ी-लिखी लड़कियाँ ‘मीडिया’ में आना नहीं चाहती हैं उनमें दृढ़ इक्षा शक्ति का नितान्त अभाव है। इसके अलावा अपने माँ-बाप पर आधारित होने की वजह से भी उनमें मीडिया को अपना कैरियर बनाने का साहस नहीं हो पा रहा है। मेरे जिले में पुरूष मीडिया परसन्स भी स

rajneeti ki pyas

  पी.एम्. बनने की मुझे रहती थी बड़ी आस , पर जनता ने कर दिया सारा सत्यानाश , साथी सब ये कह रहे 'ले लो अब सन्यास ' पर मेरी बुझती   नहीं राजनीति की प्यास .                     शिखा कौशिक http://netajikyakahtehain.blogspot.com/                             

इसमे से सब ज्यादा पब्लिक की मार किसको झेलनी पड़ती है...

एक मार जनता की होती जिसमे से ये लोग पाए जाते... १`नेता २.`अभिनेता ३.`क्रिकेटर इसमे से सब ज्यादा पब्लिक की मार किसको झेलनी पड़ती है...

हिन्दुस्तान का एक दर्द यह भी हे ....

एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये ..... Saturday, January 1, 2011 दोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं एक हकीकत हे जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये । नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ त