देश में उत्तर प्रदेश पुलिस प्रताड़ना से होने वाली मौतों में सबसे आगे है, तो मानवाधिकार हनन के भी मामले में किन्हीं दूसरे राज्यों से पीछे नहीं है। हाल के दिनों में विशेष पुलिसिया दस्तों के द्वारा किए गए कथित मुठभेड़ों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जबकि इन विशेष पुलिसिया दस्तों का गठन संगठित अपराधों और आतंकी वारदातों से निपटने के नाम पर किया गया था, लेकिन वक्त बीतने के साथ ये विशेष दस्ते सवालों के घेरे में आ गए। ये विशेष दस्ते अपने कामकाज के तरीके में मानवाधिकार हनन का केंद्र बन गए हैं। गौरतलब है कि हरियाणा में अपराधियों से निपटने के लिए बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स ऐसे ही आरोपों के चलते भंग कर दी गई। हरियाणा एस0टी0एफ0 पर सर्राफा व्यापारियों से पैसे वसूलने का आरोप लगा। सी0सी0टी0वी0 कैमरे में कैद हुईं तस्वीरों के आधार पर एस0टी0एफ0 के सात जवानों समेत एस0टी0एफ0 के मुखिया अशोक श्योराण को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। हरियाणा की घटना से यह बहस जरूरी हो गई है कि सामान्य पुलिस की तुलना में एस0टी0एफ0 जैसे विशेषाधिकार प्राप्त दस्ते कितने उपयुक्त होते हैं, क्योंकि अपराधियों पर नकेल कसने की लिए बनाए