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Showing posts from June 17, 2009

मीट व्यापारियों ने किया मेरठ में बवाल

सलीम अख्तर सिद्दीक़ी आखिरकार मेरठ हिंसा से बच नहीं सका। 17 साल बाद एक बार फिर मेरठ कर्फ्यू का दंश झेलने के लिए मजबूर हो गया। लेकिन यह तय है कि यह हिंसा साम्प्रदायिक बिल्कुल नहीं है। हां, साम्प्रदायिक रुप देने की कोशिश गयी और आगे भी की जा सकती है। घटनाक्रम कुछ यूं है कि मेरठ के पास सिंघावली गांव से तबलीगी जमात का एक दल जमात में गया था। वह दल वापस लौट रहा था तो रोहटा रेलवे क्रासिंग पर जमात दल का टै्रक्टर रेलवे क्रासिंग पर अवैध रुप से बने खोखे के सामने खड़ा हो गया। जमात दल के लोग कुछ फल आदि लेने के लिए रुके थे। खोखे मालिक ने ट्रेक्टर को खोखे सामने खड़ा करने पर ऐतराज जताया। खोखे मालिक और जमात दल के लोगों में तू-तू में-में हो गयी,, जो बढ़ते-बढ़ते मारपीट में बदल गयी। जमात दल के लोग गम्भीर रुप से घायल हो गए। खबर सिंघावली गांव पहुंची,, जो घटनास्थल से मात्र चार-पांच किलोमीटर दूरी पर है। गांव वालों ने रोहटा रोड पर जाम लगाकर नारेबाजी शुरु कर दी। थोड़ी ही देर में यह खबर मेरठ में फैल गयी। यहीं से मेरठ को साम्प्रदायिक हिंसा में धकेलने साजिश भी बुनी गयी। लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारे पूर्व सांसद के समर्

ईरानी मामलों में 'दख़ल' नहीं देना चाहते ओबामा

ईरान में विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर ईरान के विपक्षियों के सार्वजनिक समर्थन का दबाव बढ़ा है मगर उन्होंने ऐसा करने से फ़िलहाल इनकार किया है. एक टीवी साक्षात्कार में ओबामा ने कहा कि ईरान के मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद और उनके प्रतिद्वन्द्वी मीर हुसैन मूसावी की नीतियों में शायद ज़्यादा अंतर न हो. ईरानी सेना की चेतावनी और विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत में हुए ख़ून-ख़राबे के बावजूद मूसावी के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन जारी रखे हैं. तेहरान में मौजूद बीबीसी संवाददाता जॉन लेन के अनुसार शहर में माहौल काफ़ी तनावपूर्ण है और लोग ग़ुस्से में हैं. ईरान में विदेशी मीडिया पर नए और कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. जॉन लेन का कहना है कि विदेशी मीडिया किसी तरह के विरोध प्रदर्शन में नहीं जा सकता. लेन के मुताबिक़, "मगर सरकारी टेलीविज़न ने तेहरान के बीचोबीच सरकार समर्थकों की हुई एक रैली के दृश्य दिखाए थे. मगर वो रैली उतनी बड़ी नहीं थी जितनी विरोध प्रदर्शन करने वालों की थी." वैसे सूचनाओं पर नियंत्रण की सरकारी