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Showing posts from April 19, 2009

क्या आप के पास नेता कार्ड है ?

अभी तक आप ने सुना होगा की नेताओ के पास कार्ड होते है ये होते है जाती कार्ड बाद कार्ड वोट कार्ड तो ये क्या है की नेताओ के कार्ड ये क्या बाला है की आप नेता कार्ड रखते है या नही नेता कार्ड जी हाँ , ये नाम आपको अटपटा लग रहा होगा लग्न भी चाहिए क्योकि एषा कार्ड न तोसरकार के पास है और न पब्लिक के पास तो ये कार्ड क्या है और कहाँ मिलता है और इसकी जरुरत क्या है ? देखिये आप को और मिडिया को बक बक करते कई साल हो गए कम से कम १० से ५० साल तो हो ही गए पर आप भी वही , और मीडिया भी वही, नेता भी बही , हालत भी बही, अगर इन सब के बाद कुछ देश , को मिलता है तो वो है सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

कुलदीप शर्मा जी का प्रभावशाली पत्र

कुलदीप शर्मा दैनिक भास्कर और नई दुनिया में काम कर चुके कुलदीप शर्मा भोपाल में रहकर अब स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन करते हैं। फिलहाल पिछले 60 साल की राजनीति पर पुस्तक लेखन में व्यस्त। संपर्क- kalkshepee@gmail.com फोन नं. +919424505136 इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद वर्ष 1985 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद कांगे्रस को पूरे देष में न सिर्फ जबर्दस्त बल्कि ऐतिहासिक सफलता मिली और भाजपा को केवल दो सीटों से संतोष करना पड़ा। इतना ही नहीं उस चुनाव में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अटलबिहारी वाजपेयी स्वयं ग्वालियर से माधवराव सिंधिया से चुनाव हार गए। उस समय मैं काॅलेज में था और छात्र राजनीति में सक्रिय भी था। जोष ही जोष में अटलबिहारी वाजपेयी को एक लंबा पत्र 19 मार्च 1985 को लिखा कि आपकी पार्टी की ऐसी दुर्दषा क्यों हुई। इस पत्र को लिखकर मैं इस घटना को भूल सा गया कि करीब दो महीने बाद अचानक एक दिन अटलबिहारी वाजपेयी लिखा लिफाफा मिला। मैंने अपने पत्र में जो मुद्दे उठाए थे, एक नेता की तरह उन सभी का जवाब उन्होंने दे दिया था, लेकिन बाद के समय में अपनी नीतियों में व्यापक परिवर्तन भी किया। मेरे द्वारा उठाए गए सभी

भैंस चालीसा

भैंस चालीसा महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते ये मैंने नही लिखा या मेरी रचना नही है

यह पोस्ट दमदार नही ..पर एक नजर डाला जा सकता है ...

अरबों ने अंक पद्धति भार्वासियों से सिखा । मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है । कालिदास शिवोपासक थे । भारवि ने अपने महाकाव्य किरातार्जुनीय में अर्जुन और शिव के बिच युद्ध का वर्णन किया है । वाकातक शासक प्रवार्शें द्वितीय को सेतुबंध नामक कृति का रचयिता माना जाता है । कनिष्क के दरबार में पार्श्व ,वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वान् थे । मेगास्थनीज के अनुसार मौर्य काल में बिक्री कर नही देने वाले को मृत्यु दंड मिलता था । बौध धर्म के अनुसार महापरिनिर्वान मृत्यु के बाद ही संभव है ।

Loksangharsha: खुदगर्ज जिंदगी का यूँ ......

खुदगर्ज जिंदगी का यूँ ...... खुदगर्ज जिंदगी का यूँ विस्तार हो गया । हर आदमी दौलत का परस्तार हो गया ॥ दिल दे के दिल की आस में दीवाना हो गया - अब आदमी का प्यार भी व्यापार हो गया ॥ कुछ तो बुझा दिए थे जलाने के वास्ते कुछ का जलन ही बाँटना किरदार हो गया॥ यूँ दर्द जिंदगी में बेहिसाब बेगुनाह मिल गया कुदरत का फैसला भी गुनाहगार हो गया ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

सेकुलरों के कारनामे जनता तक पहुँचने चाहिए ।

अब तक सुनते आए हैं" भाजपा एक साम्प्रदायिक दल है " । बार-बार बाबरी मस्जिद विध्वंस और गोधरा का राग का गायन सभी तथाकथित सेकुलर दल करते रहते हैं । चुनाव प्रचार चरम पर है । लालू , पासवान , मुलायम , सोनिया , राहुल , समेत वामपंथी नेता भी सेकुलर बयान दे रहे हैं । मुस्लिम वोट बैंक के खातिर ये सेकुलर आपस में भी भिड जाते हैं । आज ही लालू ने कहा " - बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस भी दोषी " । चलिए मान लिया कि भाजपा के पास साम्प्रदायिकता ही एक मुद्दा है । पर हर कोई तो उसी साम्प्रदायिकता कीआग पर अपना -अपना वोट बैंक गरम कर रहे हैं ।अगर भाजपा हिंदू वोट बैंक ( जो कभी एक साथ नही होते , क्योंकि हमें तो छद्म सेकुलर होने का शौक चढा है ) की राजनीति करती है तो और सारे दल मुस्लिम वोट बैंक( जो एक मुस्त बगैर सोचे -समझे भावना में बह कर मतदान करते हैं) की राजनीति करते हैं । ज्यादा बताने की जरुरत नही है किये छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं कीअसलियत क्या है ? धर्म को अफीम बताने वाले वामपंथियों के लिए केवल धर्म अछूत है बाकीसब चलता है । केरल में कट्टरपंथी अब्दुल नासिर मदनी से मिलकर चुनाव लड़ने की

लोहिया की " डिजिटल वाईफ"

मैं अपनी शादी को लेकर गहरी चिंता में हूँ। कुछ दोस्तों की सलाह पर वेबसाइट्स और अख़बारों में विज्ञापन दे ड़ाला है। बढ़िया रेस्पोंस भी मिल रहा है । लेकिन सवाल है की सभी सैलरी वाले मुद्दे पर बड़ा गंभीर रहतें हैं । बार -बार जो सवाल पूछा जा रहा , उसका जवाब देते- देते ख़ुद पर ग्लानी होती है। "आपने ५-डिजिट सैलरी का ज़िक्र किया है , पर इधर उधर से मिला कर कुल कितना कमा लेते हैं ? " बेटे आजकल प्रिंट पत्रकारिता में रखा क्या है , टी।वी पे कब तक आ जाओगे ?"... .... अब मुझे मेरे होने वाले पत्नी की तस्वीर ,बरबस अंखियन विच उभर आती है ... मैंने बहुत सोचने पर उस डिजिटली इंस्पायर्ड वाईफ का नाम रखा है " डिजिटल वाईफ" ......... नाम पसंद आया होगा ..... अब सवाल उठता है कि मेरी बीबी का लोहिया से क्या लेना- देना, अरे लोहिया तो क्या किसी से क्या लेना देना ? लेना हो तो चलेगा , पर देना क्या ....? खैर... बात वहीं पर......... लोहिया का तात्पर्य ... राममनोहर लोहिया से होना, क्या लोहिया शब्द कि परिणति है ? अगर समाजवाद को चौके में ले जायें तो॥ लोहिया का अर्थ होता है कडाही ... जिसको जी आज के ज़माने