संघर्ष देखा है मैंने तुम्हें ताने सुनते / जीवन पर रोते देखा है मैंने तुम्हे सांसों - सांसों पर घिसटते नये रूप / नये अंदाज में देखा है मैंने तुम्हें पल - पल संघर्ष में उतरते मानो कह रही हो तुम बस - बस - बस अब बहुत हो चुका ? न सहेंगे अत्याचार , न सुनेंगे ताने हर जुर्म का करेंगे प्रतिकार नये विचारों की रोशनी में। -सुनील दत्ता