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Showing posts from April 29, 2013

इम्तियाज अली को कई तरह से देखा, यहां से भी देखिए

इम्तियाज अली की सिनेमाई चेतना ♦ राहुल सिंह सो चा न था कि फकत चार फिल्मों में लगभग एक-सी ‘सिचुएशन्स’ को ‘एक्सप्लोर’ करते हुए, कोई हमारे समय के ‘मेट्रोपोलिटियन यूथ’ की ‘साइकि’ को (खासकर मुहब्बत के मामले) में इस कदर पकड़ सकता है। ‘सोचा न था’ से लेकर ‘रॉक स्टार’ के बीच के फासले को जिस अंदाज में इम्तियाज अली ने तय किया है, वह थोड़ा गौरतलब है। कंटेंट इम्तियाज अली की पहली फिल्म  ‘सोचा न था’ का हीरो वीरेन (अभय देओल) एक रीयल स्टेट के समृद्ध कारोबारी परिवार से है। दूसरी फिल्म, ‘जब वी मेट’ में आदित्य कश्यप (शाहिद कपूर) एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट परिवार से है। तीसरी फिल्म, ‘लव आज कल’ में जय (सैफ अली खान) एक कैरियरिस्ट युवक है, जिसके सपने से उसके ‘क्लास’ का पता चलता है। चौथी फिल्म ‘रॉक स्टार’ का जर्नादन जाखड़ उर्फ जार्डन (रणबीर कपूर) एक जबर्दस्त ‘कांप्लिकेटेड मिक्सचर’ है। यह चारों फिल्म इम्तियाज अली की सिनेमाई चेतना के विकास में, अब तक आये चार पड़ावों की तरह है। इसमें पहला एक स्टेशन है, दूसरा एक हॉल्ट है और तीसरा एक जंक्शन है, जो चौथी फिल्म अर्थात मुकाम तक पहुंचाती है। वीरेन और आदित्य कश्यप