गीत: मौसम बदल रहा है… संजीव * मौसम बदल रहा है टेर रही अमराई परिवर्तन की आहट पनघट से भी आई... * जन आकांक्षा नभ को छूती नहीं अचंभा छाँव न दे जनप्रतिनिधि ज्यों बिजली का खंभा आश्वासन की गर्मी सूरज पीटे डंका शासन भरमाता है जनगण मन में शंका अपचारी ने निष्ठा बरगद पर लटकाई सीता-द्रुपदसुता अब घर में भी घबराई... * मौनी बाबा गायब दूजा बड़बोला है रंग भंग में मिलकर बाकी ने घोला है पत्नी रुग्णा लेकिन रास रचाये बुढ़ापा सुत से छोटी बीबी मिले शौक है व्यापा घोटालों में पीछे ना सुत, नहीं जमाई संसद तकती भौंचक जनता है भरमाई... * अच्छे दिन आये हैं रखो साल भर रोजा घाटा घटा सकें वे यही रास्ता खोजा हिंदी की बिंदी भी रुचे न माँ मस्तक पर धड़क रहा दिल जन का सुन द्वारे पर दस्तक क्यों विरोध की खातिर हो विरोध नित भाई रथ्या हुई सियासत निष्कासित सिय माई... ***