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Showing posts from December 18, 2010

ये तो होना ही tha..

कविवर श्याम बिहारी गुप्त के शब्दों में: "आचरण ने शब्दों के अर्थ बदल दिए,    फिर ऐसा हुआ कि अँधेरा बाँटने लगे दिए." विद्यार्थी  जीवन  के लिए कहा जाता है कि "विद्यार्थी नाम कुतो सुखम"अर्थात विद्याध्ययन का जो समय है उस वक़्त पर छात्र का जीवन एक तपस्वी की मानिंद विद्या प्राप्ति में ही रहता है और रहना चाहिए भी किन्तु समय के परिवर्तन ने इसे भी परिवर्तित कर दिया है अब छात्र के लिए ये समय मौज मस्ती का हो गया है और उनकी सोच तो यहाँ तक हो चुकी है कि [कुछ परिवर्तन के साथ} "मौज कर दुनिया कि गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ, जिंदगानी भी रही तो नौजवानी फिर कहाँ.   मैं जिकर कर रही हूँ मोदीपुरम स्थित २३० के वी  उप संस्थान बिजलीघर में दिलीप कुमार झा के घर में १ नवम्बर को हुई चोरी का जिसका खुलासा पुलिस ने कर दिया है चोर मेरठ कॉलेज   के छात्र हैं और उनका कहना है कि चोरी मस्ती के लिए की थी अब छात्र  जब इन कामो में मस्ती ढूँढेंगे तो ये तो होना ही है कि काफी शिद्दत से ढूँढेंगे क्योंकि हर काम को करने के लिए जो जोश चाहिए वह हमारे युवाओं में होता है और वह जोश अब यही कहा जायेगा कि गलत दिशा

संवेदना के धागों से बुनी एक खबर

वर्तिका नन्दा एक अकेला भारत ही संवेदनशील है, भावनाओं के समुंद्र में बहता है और वह उफान में रोज गहराता है, ऐसा नहीं है कार्ला ब्रूनी जब फतेहपुर सीकरी जाती हैं तो अपनी दूसरी शादी और पहले से एक बच्चे की मां होने के बावजूद यह जानकर भावुक हो उठती हैं कि यहां मुराद मांगने से झोली जरूर भरती है। हाथ में चादर लिए वे माथा टेक कर कई मिनट लगातार सरकोजी के जरिए एक बच्चे की मुराद मांगती चली जाती हैं और जब चादर चढ़ा कर बाहर आती हैं तो उनके चेहरे पर नारी सुलभ संकोच और सौम्यता टपकती दिखती है। इलेक्ट्रानिक मीडिया इसी संकोच पर खबर दर खबर गढ़ता चला जाता है। कुछ जगह आधे घंटे के प्रोग्राम बना दिए जाते हैं। कार्ला और सरकोजी कव्वाली की धुन के बीच उस सलीम चिश्ती के रंग में सराबोर दिखते हैं जिसने बादशाह अकबर को भी खाली हाथ नहीं भेजा था। कार्ला बार-बार नमस्ते की मुद्रा में दिखाई देती हैं, कैमरों के सामने उनकी मुस्कुराहट और भी खिल कर सामने आती है। वे भाव विभोर हैं। कैमरे, संगीत का प्रभाव और दमदार एडिटिंग ऐसे माहौल को निर्मित कर देते हैं जहां दुनिया के एक प्रभावशाली देश का शासक भी महज एक याचक की तरह दिखाई देता है

कलम का सिपाही -2 कविता प्रतियोगिता में भाग लें.

कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता एवं निबंध प्रतियोगिता-2010 के बाद हिन्दुस्तान का दर्द आपके लिए लेकर आया है कलम का सिपाही -2 यह भी एक कविता प्रतियोगिता है ,इस प्रतियोगिता का मकसद भी होगा हिंदी की सेवा,दोस्तों हिंदी की रक्षा करना हर हिन्दुस्तानी का फर्ज है और हिंदी की रक्षा करना मतलब खुद पर गर्व करना है,तो दोस्तों खुद पर गर्व करो और हिंदी की रक्षा करो..तब तक हिंदी बोलो जब तक कोई आपकी बात सुनने पर मजबूर न हो जाए,उसके सामने हिंदी बोलो जो हिंदी को छोटा मानता है. आइये बात करते है प्रतियोगिता की, कलम का सिपाही -2 प्रतियोगिता जिसके अंतर्गत लेखक अपनी कविताएँ हम तक पहुंचा सकते है कविता किसी भी विषय पर आधारित हो सकती है लेकिन एक लेखक की केवल एक की कविता मान्य है. कविता प्रतियोगिता के किन्ही दो विजेताओं को 1000 रुपए की किताबों से पुरुस्कृत किया जायेगा,इस प्रतियोगिता को लेकर कुछ बहुत कम से नियम बनाएँ गए है जिनके अंतर्गत आप अपनी कविता हम तक भेज सकते है. कविता भेजने की अंतिम तिथि - 10 जनवरी 2011 है. नियम-       १.आपकी कविता अपमानजनक, संतर्जक, आक्रामक, निंदात्मक, किसी की प्रतिष्ठा को चोट प
राहुल के आतंकवाद बयान पर हंगामा विक्लिंक्स वेबसाईट पर अमेरिका के राजदूत से हुई बात में राहुल गाँधी द्वारा भारत के आतंकवाद में मुस्लिम आतंकवाद के साथ हिन्दू आतंकवाद का ज़िक्र करने का खुलासा करने पर कथित हिंदूवादी लोग इस पर राजनीती करने लगे हें और मीडिया मेनेजमेट कर राहुल के बढ़ते कदमों को रोकने के प्रयासों में जुट गये हें । भारत में अमेरिका के राजदूत की यात्रा के दोरान राहुल गाँधी ने चर्चा के दोरान बयान देने का आरोप हे के राहुल ने कहा था के भारत देश को आन मुस्लिम आतंकवाद से ज्यादा हिन्दू आतंकवाद से खतरा हे जो मुस्लिमों को भडका कर साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना चाहते हे इस बयान के खुलासे के बाद भाजपा,संघ सहित सभी हिन्दू वादी संगठनों ने हंगामा खड़ा कर दिया हे और हिन्दू आतंकवाद के मामले में दिए गये बयान को बुरा माँ रहे हें राहुल गांधी को बेचारे को किया पता के देश के अधिकतम लोग ऐसे हें के सच कहोगे तो बुरा मान जायेंगे , राहुल ने अब अपने बयान को फिर स्पष्ट किया हे और कहा हे के उन्होंने कहा था के सभी प्रकार के आतंकवाद और साम्प्रदायिकता से देश को खतरा हे बात सही भी हे के आतंकव
गांधी की हत्या का सच छापना महंगा पढ़ा भारत के राष्ट्रपति महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल रहे अलवर महाराजा तेजसिंह और प्रधानमन्त्री को महात्मा गाँधी की हत्या के मामले में सहयोगी होने के कारण उन्हें नजरबंद रखा गया था इस सच को पिछले दिनों कोंग्रेस के दो वर्ष पुरे होने पर अलवर प्रशासन ने एक पुस्तिका में प्रकाशन किया था जिसे अलवर के ऐ डी एम ने सम्पादित किया था वर्तमान में अलवर के सांसद जितेन्द्र सिंह राहुल गाँधी के निकटतम होने से राजस्थान सरकार पर हावी हे और अलवर के आरोपित महाराजा के पोते भी हे , बस इसी लियें इस सच को जिसे कोंग्रेस के मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने पत्रकारों के सामने स्वीकार था और एतिहसिकी तथ्य कहा था उसे तुरंत पलट दिया गया यह सच दूर तक नहीं पहुंचे इसलियें प्रकाशित किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया और इस पुस्तक को प्रकाशित करने वाले ऐ डी एम को अलवर से हटा कर सज़ा के तोर पर ऐ पी ओ कर दिया गया अब हुई ना मजेदार बात किसी शायर ने कहा हे के : यह झुन्ठों और मक्कारों की महफिल हे , सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे अगर जितेन्द्र सिंह राहुल के नजदीक नहीं हते तो आज उनके
देश के गृह मत्री की पुकार प्लीज़ हेडली से मिला दो दोस्तों विश्व की परमाणु शक्ति कहे जाने वाले मेरे भारत देश की शक्ति विश्व स्तर पर मेरे देश के नेता ओर खासकर गृहमंत्री किस तरह से विदेशी ताकतों के आगे अपने अधिकार के लियें गिडगिडा कर कम कर रहे हें इसका खुलासा विक्लिंक्स वेबसाईट ने किया हे । विक्लिंक्स वेबसाईट ने कहा हे के देश में मुंबई हमले के लियें ज़िम्मेदार और देश में हुई कई आतंकवादी घटनाओं का सूत्रधार हेडली जब अमेरिका में पकड़ा गया तो सभी तथ्य होने के बाद भी देश के गृह मंत्री उसे देश में सजा देने के लियें लाने में ना कामयाब रहे और आखिर में गृहमंत्री ने सभी मान मर्यादाएं त्याग कर राजनितिक स्टंट के चलते अमेरिका के आगे घुटने टेक कर गिडगिडाना शुरू कर दिया के हमें हेडली दे दो प्लीज़ हेडली नहीं दो तो बात करा दो प्लीज़ गृह मंत्री ने तो यहाँ तक कहा के बस हमे तो बात करा दो चाहे हेडली कुछ कहे या नहीं कहे , दोस्तों एक हमारे भारत के गृह मंत्री ने गिडगिडा कर देश के आतंकवादी को माँगा हे और नहीं देने पर कोई कार्यवाही नहीं की उलटे अमेरिका के राष्ट्रपति को देश में बुला कर ससम्मान

पाखाना कि खजाना

रामगढ़ की तर्कशील सोसायटी ने किया रहस्योद्घाटन गायब हुआ धन पाखाने की कुंई में खोज निकाला विनोद स्वामी व अजय सोनी परलीका. घर में बना पाखाना परिवार का गायब हुआ धन उगलने लगा तो देखने वाले हैरान रह गए। घटना हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के भगवान गांव की है। महेन्द्र सिहाग के घर से गत नौ माह से रुपए, जेवर तथा अन्य सामान गायब हो रहा था। जिसे वे दैवीय आपदा या प्रेत-बाधा मानते रहे और झाड़-फूंक वाले सयाणों के चक्कर में पड़े रहे। आखिरकार 16 दिसंबर गुरुवार की रात रामगढ़ की तर्कशील सोसायटी ने रहस्योद्घाटन किया तथा गायब हुआ धन पाखाने की कुंई में खोज निकाला। सोसायटी ने परिवार के सभी सदस्यों, आस-पड़ोस तथा अन्य संबंधित लोगों से गहन पूछताछ कर हकीकत का पता लगाया और यह रहस्योद्घाटन किया। सोसासटी ने इसे महज मानवीय शरारत माना है तथा शरारती का नाम पूर्णतया गोपनीय रखा गया है। ग्रामीणों की मानें तो इस घटना के बाद उनका जंत्र-मंत्र, डोरा-डांडा व ओझा-सयाणों से विश्वास उठ गया है। यूं रहा घटनाक्रम गत मार्च माह में महेन्द्र की पत्नी की सोने की अंगूठी गायब हो गई। इसे उन्होंने भ