दुनिया के तमाम देशों की फिल्मों में वहां के राष्ट्रीय चरित्र की झलक देखने को मिलती है। फिल्मों के माध्यम से भी किसी देश का परिचय पाने की कोशिश की जा सकती है। रॉबर्ट स्कलर की किताब ‘मूवीज मेड ए नेशन’ में हॉलीवुड के विकास के साथ अमेरिका को जोड़ा गया है। आज ईरान की फिल्मों से ईरानी समाज का अच्छा-खासा परिचय हमें मिलता है। तमाम फिल्म बनाने वाले देशों ने अपने इतिहास और साहित्य से कथाएं ली हैं। अमेरिका ने अपने यहां प्रकाशित कॉमिक्स पर भी फिल्में गढ़ी हैं। अकिरा कुरोसावा की फिल्में जापान की इतिहास कक्षाओं में पढ़ाई जा सकती हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद फ्रांस ने थ्रिलर फॉर्मेट में देशभक्ति की बात प्रस्तुत की। रूसी साहित्य की ‘वार एंड पीस’, ‘डॉ जिवागो’ और ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ पर हॉलीवुड ने फिल्में रची हैं और इन्हीं उपन्यासों पर बनी रूसी फिल्मों से वे बेहतर भी सिद्ध हुई हैं। इन तमाम देशों में सेंसर के लचीलेपन के कारण भी बहुत सी साहसी फिल्में बनी हैं। मसलन ऑलिवर स्टोन की फिल्मों में वियतनाम में की गई गलती का विवरण है। स्टोन ने वियतनाम में बतौर शिक्षक और बतौर योद्धा भी वक्त बिताया है। उनकी