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Showing posts from December 20, 2018
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ कुछ दिनों से मुझको भी || यारो कुछ कुछ होने लगा || दिल मेरा भी खोने लगा || अपने दफ्तर की टेबल पर || मै भी अब तो सोने लगा ||  दिल मेरा भी खोने लगा || रात हसीना एक आती है || सपनो में हमें जगाती है || हाथ पकड़ कर मेरा ओ || अपने साथ उड़ाती है || इश्क के चक्कर में पड़ कर मै || प्रेम बीज को बोने लगा || दिल मेरा भी खोने लगा || अभी गाल में पड़े निशान है || उसने हंस के काटा था || मेरी भी चीख निकल गयी थी || कुछ करने के लिए आमादा था || प्रेम बाग़ में दोनों नाचे थे || उसके बिन अब रोने लगा || दिल मेरा भी खोने लगा ||