Skip to main content

Posts

Recent posts

सॉनेट

सॉनेट  तुम  • आँख लगी तुम रहीं रिझाती। आँख खुली हो जातीं गायब। आँख मिली तुम रहीं लजाती।। आँख झुकी मन भाती है छब ।। आँख उठाई दिल निसार है। आँख लड़ाई दिलवर हारा। आँख दिखाई, क्या न प्यार है? आँख तरेरी उफ् फटकारा।। आँख झपककर कहा न बोलो। आँख अबोले रही बोलती। आँख बरजती राज न खोलो।। आँख लाल हो रही डोलती।। आँख मुँदी तो हो तुम ही तुम। आँख खुली तो हैं हम ही हम।। २६-२-२०२२ •••

अथ श्री योगी आदित्य नाथ चालीसा ||

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ अथ श्री योगी आदित्य नाथ चालीसा || दोहा :- जय योगी जय आदित्य नाथ करिये शुभ सब काज || हर घर मंगल होता रहे चमके सगरी सकल समाज || चौपाई :- जयति जय योगी दीन दयाला | तुम यूं पी के पालन हारा || तुम गाँव गरीब गऊ के रक्षक | तुम्हरे डर से भागे भक्षक || आप जल्दी हो एक्शन लेते | दुष्कर्मी को खूब जल्द देते || कुम्भ सुसज्जित आप कराये | संत महात्मा महाऋषि आये || स्वच्छ छवि के आप निराले | सब लोगो के आप हो प्यारे || सुन घटना तत्काल हो जाते | बिन मतलब नहीं समय गवाते || आप सभी सुविधा सब लाते | समाधान को तत्काल कराते || स्वाथ्य शिक्षा में हुयी बढ़ोत्तरी | बढे स्वछन्द सब पुत्र पुत्री || अब भ्रष्टाचार का अंत कराओ | इस राक्षस को जल्द भगाओ || रोजी रोजगार उपलब्ध कराओ | जन जन के प्यारे बन जाओ || रिद्धि सिद्धि द्वार आय विराजे | सब के आँगन खुशियाँ नाचे || दोहा :-
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ अथ श्री योगी आदित्य नाथ चालीसा || दोहा :- जय योगी जय आदित्य नाथ करिये शुभ सब काज || हर घर मंगल होता रहे चमके सगरी सकल समाज || चौपाई :- जयति जय योगी दीन दयाला | तुम यूं पी के पालन हारा || तुम गाँव गरीब गऊ के रक्षक | तुम्हरे डर से भागे भक्षक || आप जल्दी हो एक्शन लेते | दुष्कर्मी को खूब जल्द देते || कुम्भ सुसज्जित आप कराये | संत महात्मा महाऋषि आये || स्वच्छ छवि के आप निराले | सब लोगो के आप हो प्यारे || सुन घटना तत्काल हो जाते | बिन मतलब नहीं समय गवाते || आप सभी सुविधा सब लाते | समाधान को तत्काल कराते || स्वाथ्य शिक्षा में हुयी बढ़ोत्तरी | बढे स्वछन्द सब पुत्र पुत्री || अब भ्रष्टाचार का अंत कराओ | इस राक्षस को जल्द भगाओ || रोजी रोजगार उपलब्ध कराओ | जन जन के प्यारे बन जाओ || रिद्धि सिद्धि द्वार आय विराजे | सब के आँगन खुशियाँ नाचे || दोहा :-
prem ki kavi ta  सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

एक अदहन हमारे अन्दर: .

एक अदहन हमारे अन्दर: . : एक अदहन हमारे अन्दर/ कविता संग्रह/ अभिज्ञात/ प्रकाशक-नाद प्रकाशन, 2 महात्मा गांधी रोड, टीटागढ़, कोलकाता-700119/1990/ मूल्य-22 रुपये EK A... सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Request to Indian Govt.

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ