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Showing posts from July 26, 2010

पाक की पुरानी कहानी

शेखर गुप्ता कुछ माह पहले ही मैंने अपने कॉलम में लिखा था कि पाकिस्तान का सत्ता तंत्र समय-समय पर गफलत में आ जाता है। उनके यहां कुछ ऐसे हालात बन जाते हैं कि सहसा वे अपनी ‘जीत’ को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं। लेकिन उत्साह में वे खुद से यह पूछना भूल जाते हैं कि उनकी इस जीत के मायने क्या हैं और यह स्थिति कब तक बनी रहेगी। फिलवक्त पाकिस्तान ऐसे ही दौर से गुजर रहा है। उसे लगता है कि दुनिया भर के अमन-चैन की चाबी उसी के हाथों में है और ओबामा और डेविड कैमरून का राजनीतिक भविष्य भी उसे ही तय करना है। ये एक ऐसे मुल्क के लिए बदले हुए हालात हैं, जिसे अभी तक बदहाल माना जा रहा था। लेकिन इस बार नई बात यह है कि पहले उसे हमेशा लगता था कि उसने यह ‘जीत’ भारत के विरुद्ध हासिल की है, जबकि इस दफे उसे लगता है कि उसने पूरी दुनिया को हरा दिया है। ओबामा की कमजोरी के चलते ही पाक आज खुद को सबसे ताकतवर महसूस करता है। लेकिन ऐसी ही स्थितियों में पाकिस्तान गंभीर भूलें भी करता है। बीते हफ्ते इस्लामाबाद में जो हुआ, वह इसी का नतीजा था। खास तौर पर एसएम कृष्णा के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में शाह महमूद कुरैशी का दंभ भरा रवैया।

एक रुपए की चाय, साढ़े बारह रुपए की थाली

      इस महंगाई के दौर में अगर हम आपको यह कहें कि आपको सिर्फ एक रुपए में एक कप चाय मिल जाएगी और साढ़े बारह रुपए में खाने की पूरी थाली मिल जाएगी तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। पर यह सौ फीसदी सच है। इस महंगाई के दौर में भी आपको इतनी कीमत में खाने की थाली मिल जाएगी। और यह मिलेगी हमारे संसद के कैंटीन में। भले ही इस कैंटीन में पहुंचना हर किसी के बस में ना, हो लेकिन चलिए कम से कम हम आपको यहां का मेन्यू तो दिखा ही देते हैं। चाय -1.00 रूपया, शाकाराही थाली -12.50 रुपया, मांसाहारी थाली - 22.00 रुपया, राजमा चावल - 7.00 रुपया,  वेज पुलाव - 8.00 रुपया, सूप - 5.50 रुपया,  फिश फ्राई - 17.00 रुपया , चिकन बिरयानी - 34.00 रूपया,  डोसा - 4.00 रुपया, खीर - 5.50 रुपया, चिकन करी - 22.50 रुपया, रोटी - 1.00 रूपया (एक पीस),  दाल - 1.50 रुपया (एक कटोरी) देश में आम आदमी महंगाई के बोझ तले दबा है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार के मानसून सत्र में महंगाई का मुद्दा भी उठेगा। लेकिन सवाल यह कि संसद के भीतर इन रियायती दरों पर मिलने वाले व्यंजनों का लुत्फ उठाने वाले सांसद, क्या गंभीरता से इस मुद्दे को उठा पाएंगे?

गम के सागर में डूबा मै घायल पडा..

गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥ कई दिन से पडा मै कहारता रहा॥ नींद आ कर के बोली क्यों क्यों सोते नहीं॥ आशिकी में ह्रदय घात हमको हुआ॥ निति आकर के बोली तुम सुहाते नहीं॥ गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥ मुझको लगता की मेरा चमन लुट गया॥ खुशिया करके बोली क्यों नहाए नहीं॥ गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥ आँख से आसुओ की नदी बह रही॥ भूख आ करके बोली क्यों खाए नहीं॥ गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥ याद आती है हंस हंस कुछ करते जब थे॥ रीती आ कर के बोली क्या पाए नहीं॥ गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥ गम के सागर में डूबा मै घायल पडा॥ मौत आके हंसी ऐसे रोते नहीं॥

बेचारा मजदूर...मजबूर होके..

करते करते मेहनत मजदूरी॥ हाथ में घिट्ठे पड़ गए ॥ हम जैसे के जैसे रह गए॥ वही है झप्पर है खाट॥ महा दरिद्र हमरी औकात... गिरते गिरते बच गए॥ हम जैसे के जैसे रह गए॥ चार है बच्चे किस्मत के कच्चे॥ पढ़ लिख न पाए बने न सच्चे॥ जीवन की धुरी में रच गए॥ हम जैसे के जैसे रह गए॥ देहिया झांझर सन है बाल॥ कोई न पूछे का हवाल॥ गाल में गड्ढे पड़ गए॥ हम जैसे के जैसे रह गए॥ बेचारा मजदूर...मजबूर होके..

मै सोच रही हूँ खडी खडी..

मै सोच रही खडीखडी तुम पीछे मुड़ के देखोगे॥ हंस करके नज़र मिलाओ गे pयार की बानी बोलेगे॥ पर तुमतो ऐसे शर्माते हो जैसे कोई सर्मौधा फूल॥ धुप लगे तो मुरझा जाते चढ़ जाती है मिटटी धूल॥ मेरी अंखिया मचला रही आँखों से हमें टटोलो गे॥ हंस करके नज़र मिलाओ गे pयार की बानी बोलेगे॥ गूंगे बन के खड़े हुए हो अब तो प्रभू जी बोलो॥ मुख मिष्ठान तिताय न जाए मिसरी अपनी घोलो॥ मेरा उपहार स्वीकार करो अब किस तराजू तोलोगे। हंस करके नज़र मिलाओ गे pयार की बानी बोलेगे॥ हाथ उठा के स्वागत कर दो हार पिन्हा दो मुझको॥ सात जनम के बंधन में मै बांधू गी तुझको॥ अपने जीवन की सुख सरिता में प्राण प्रिये नहलावोगे॥ हंस करके नज़र मिलाओ गे pयार की बानी बोलेगे॥