मेरे देश में , अब कोई भूखा नहीं मरता।क्योंकि अब- देश मॆं बडे बडे बिज़नेस स्कूल हैं, शाही ठाठ-बाट से सजे, आई आई एम व बहु राष्ट्रीय कम्पनियां हैं, जो अरबों कमातीं हैं, उन के कर्मचारी भी लाखों में पाते हैं । सरकारी कर्मचारी तो,्ड्यूटी पर विदेश जाते हैं, ये देश में काम करते हैं, पुरुष्कार लेने मलयेशिया जाते हैं । मेरे देश की चमचमाती सडकों पर,प्रतिपल- तमाम स्कूटर,कार,टैक्सियां,फ़र्राटा भरतीं हैं, और- पटरियों पर ,वातानुकूलित शताब्दी,राजधानी एक्स्प्रेस व- मेट्रो दौडतीं हैं । मेरे देश में अब , बडे बडे माल,सुपर बाज़ार व बहुमन्ज़िलीं इमारतों का मेला है। हर जगह्कोल्ड-ड्रिन्क,ठन्डा, काफ़ी, फ़ास्ट-फ़ूड,पिज़्ज़ा,बर्गर,आइस क्रीम व, ब्रान्डॆड आइटम का रेलम पेला है। टी वी,रडिओ व केबल पर,आइटम सोन्ग,व आइटम कन्याओं का ठेलम-ठेला है । यहां हर गली में गुरू हैं,व हर कोई, किसी न किसी का चमचा या चेला है । भूखा बही मरता है,जो- हठेला है, शान्त,स्वाधीन, अकेला है, जवान का करेला है, जिसका न कोई गुरू, न चमचा न चेला है ।।