छत्तीसगढ में थोक के भावः खुल रहे इंजिनयरिंग कालेजो को देख चिंता लाजमी है लगभग ५० की संख्या पार कर चुके इन इंजिनयरिंग कालेजो ने काउंसलिंग में छात्रों को लुभाने प्रचार का नया तरीका इजात किया है हैरत में डालने वाले इस नए तरीके से इंजिनयरिंग में प्रवेश हेतु काउंसलिंग में आये छात्रों और उनके माता पित्ता को प्रोतसाहित तो किया जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता आप भी इसे सुनने के बाद हैरत में पड़ जायेगे या हो सकता है आप में से भी किसी का इनसे सामान हुआ हो दरसल बात कुछ ऐसी है की मेरे करीबी रिश्तेदार के बच्चे के प्रवेश इंजिनयरिंग में कराने मेरा सामना इंजिनयरिंग प्रवेश में होने वाली काउंसलिंग से पड़ा मेरा जाना लाजमी था सब कुछ तय था की हमें किस कालेज और किस ब्रांच में अड्मिशन लेना है उसका एक और कारण था की मेरे एक रिलेटिव जो मेरे करीब में है उनका इंजिनयरिंग कालेज है और संस्थान की रिपोर्ट और रेंकिंग भी ठीक है अब भला कोई घर का कालेज छोड़ बहार क्यों अड्मिशन लेगा फिर भी हमने सारे आप्शन खुले रखे थे क्यों की सवाल कैरियर से जुडा था और कालेज ४ साल ही काम आएगा पर ब्रांच जीवन भर सो हम स