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Showing posts from August 1, 2009

इंजिनयरिंग कालेजो के प्रचार के नए हथकंडे

छत्तीसगढ में थोक के भावः खुल रहे इंजिनयरिंग कालेजो को देख चिंता लाजमी है लगभग ५० की संख्या पार कर चुके इन इंजिनयरिंग कालेजो ने काउंसलिंग में छात्रों को लुभाने प्रचार का नया तरीका इजात किया है हैरत में डालने वाले इस नए तरीके से इंजिनयरिंग में प्रवेश हेतु काउंसलिंग में आये छात्रों और उनके माता पित्ता को प्रोतसाहित तो किया जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता आप भी इसे सुनने के बाद हैरत में पड़ जायेगे या हो सकता है आप में से भी किसी का इनसे सामान हुआ हो दरसल बात कुछ ऐसी है की मेरे करीबी रिश्तेदार के बच्चे के प्रवेश इंजिनयरिंग में कराने मेरा सामना इंजिनयरिंग प्रवेश में होने वाली काउंसलिंग से पड़ा मेरा जाना लाजमी था सब कुछ तय था की हमें किस कालेज और किस ब्रांच में अड्मिशन लेना है उसका एक और कारण था की मेरे एक रिलेटिव जो मेरे करीब में है उनका इंजिनयरिंग कालेज है और संस्थान की रिपोर्ट और रेंकिंग भी ठीक है अब भला कोई घर का कालेज छोड़ बहार क्यों अड्मिशन लेगा फिर भी हमने सारे आप्शन खुले रखे थे क्यों की सवाल कैरियर से जुडा था और कालेज ४ साल ही काम आएगा पर ब्रांच जीवन भर सो हम स

पागल

मै तो एक फंटूस हूँ ॥ उस जाडे की पूस हूँ॥ जिसको देख सिकुड़ जाते सब॥ उस गुर्खुल का टूट हूँ॥ कोई कार्तिक का कुत्ता कहता॥ कोई बेल का काँटा॥ मुझी देख हुडदंग है करते॥ मारे लावेदा चांटा॥ मै खेतो का धोख जो लगता॥ लोगो का जुलूश हूँ॥ कुत्ते बिल्ली भौ - भौ करते॥ लोग हमें दौडाते है॥ ईट मारते मेरे ऊपर॥ ओ हंसते हमें रुलाते है॥ अपनी माँ के ममता का ॥ फ़िर भी सही सपूत हूँ॥

ब्लागरो की व्यथा - मानसिकता

जी हा मैंने बहुत से ब्लाग पढ़े है मेरे साथ दिक्कत यह है की मुझे हिंदी में टायपिंग नहीं आती इसलिए मुझे लिखने के लिए अ बी स डी करते टाईप करना पड़ता है सो लिखने में कोताही हो जाती है वर्ना बहुतों की ... ..... चलिए मूद्दे पर आता हु मैंने आज एक ब्लाग पढ़ा, देख कर दंग रह गया की वंहा या सेक्स के पुजारी है या फिर पूर्वाग्रह से ग्रसित ब्लागर जी हा सच कहता हुं आश्चर्य होता है कि देश में इतनी समस्याएं है जहा ९० रु किलो दाल और ५० रु किलो शक्कर होने जा रही है वंहा कोई इतनी आसानी से कल्पनाओं की सराहना करे और यथार्थ से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं हो ये हमारे देश में ही मुमकिन है। हमारे देश में ऐसे बहुत से व्लागर है जो सूचना के नाम पर कल्पना की दूकान चला रहे है जिनका दूर-दूर तक हमसे और हमरे जीवन से नाता नहीं होता इसका एक और उदाहरण मैं आपको बताता हूं मेरे एक मित्र ने एक अख़बार आरम्भ किया उसका नाम था खबरगढ छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित इस अख़बार और उसके सम्पादक के बारे में जब मुझे बताया गया जिस पर म