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Showing posts from January 9, 2009

धूमिल होती सेना की छवि

तस्वीर में सीन ब्लैकवेल और अह्दा साथ साथ भारतीय सेना की छवि से सारी दुनिया वाकिफ है। चाहे बात सन १९६५ की जंग की हो १९७२ की जंग की। हमारे जवानों ने हमेशा जांबाजी का परिचय दिया है, लेकिन कुछ जवान ऐसे भी है जो सेना की छवि ख़राब कर कर हैं। इन में न सिर्फ़ छोटे सिपाही हैं बल्कि कुछ बड़े अफसर भी शामिल हैं। फौजियों द्वारा अक्सर चलती ट्रेन से यात्रियों को फेंके जाने की घटनाएँ पढ़ने और सुनने को मिल जाती हैं। यह घटनाएँ इतनी बढ़ी कि रेलवे ने फौजियों के लिए अलग बोगी लगाने पर भी विचार किया। इसी तरह कभी सेना के उच्च अधिकारी आतंकवादी धमाकों में लिप्त पाये गये। मैं नहीं जनता कि यह बात कितनी सही या कितनी जूठ है लेकिन ऐसे आरोप लगने से सेना की छवि तो ख़राब हुई ना। इसी तरह आज कल सेना के ही एक उच्च अधिकारी से जुड़ी ख़बर से सेना की छवि को फिर धक्का लगा है। वह है एक मेजर द्वारा अफगानिस्तान की लड़की साबरा से शादी करना। साबरा द्वारा लगाये गए आरोपों के मुताबिक मेजर ने अफगानिस्तान में उम्मत खान बनकर साबरा से शादी की। साबरा के अनुसार सबसे पहले मेजर ने साबरा के घर वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. यहाँ तक कि

पवनपुत्र मकरध्वज की कथा

(वेदों से: वेद हिंदुओं का प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ है। यह हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति के मूल्यवान भंडार हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने युगों तक चिंतन-मनन कर इस सृष्टि के रहस्यों की जानकारी इस ग्रंथ में संग्रहित की है। बहुत से देशों के विद्वान आज भी इस प्राचीन ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं।) पवनपुत्र मकरध्वज की कथा पवनपुत्र हनुमान बाल-ब्रह्मचारी थे। लेकिन मकरध्वज को उनका पुत्र कहा जाता है। यह कथा उसी मकरध्वज की है।वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका जलाते समय आग की तपिश के कारण हनुमानजी को बहुत पसीना आ रहा था। इसलिए लंका दहन के बाद जब उन्होंने अपनी पूँछ में लगी आग को बुझाने के लिए समुद्र में छलाँग लगाई तो उनके शरीर से पसीने के एक बड़ी-सी बूँद समुद्र में गिर पड़ी। उस समय एक बड़ी मछली ने भोजन समझ वह बूँद निगल ली। उसके उदर में जाकर वह बूँद एक शरीर में बदल गई।एक दिन पाताल के असुरराज अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को पकड़ लिया। जब वे उसका पेट चीर रहे थे तो उसमें से वानर की आकृति का एक मनुष्य निकला। वे उसे अहिरावण के पास ले गए। अहिरावण ने उसे पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया। यही वानर हनुमान पुत्र ‘

जीतिए 5000 रुपए का नगद इनाम

दोस्तों जैसा ही आपको पता है की हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग ने इस ब्लॉग के मेम्बरों के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की है..तो जल्दी से बनिए इस ब्लॉग के मेंबर और भाग लीजिये इस प्रतियोगिता में और जीतिए 5000 रुपए का नगद इनाम !!हमारा प्रश्न और नियम देखने के लिए क्लीक करे !!भाग लेने की अन्तिम तारीख 15 जनवरी 2009 है !! http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/01/5000.html

भावुक लोगों में अवसादग्रस्‍त होने का खतरा

अगर आप बात-बात में भावुक हो जाते हैं तो इस आदत को छोड़ दीजिए क्‍योंकि ऐसे लोगों में अवसादग्रस्‍त होने का खतरा सबसे अधिक होता है. टोरंटो स्थित यॉर्क विश्‍वविद्यालय में हाल ही में किए गए एक अध्‍यन में इस बात का खुलासा किया गया है.विश्‍वविद्यायल में मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर माइरियम मोग्रेन ने लोगों के अवसादग्रस्‍त होने की प्रक्रिया का अध्‍ययन किया. मोग्रेन ने छात्रों के बीच दो चरणों में अध्‍ययन किया. उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादा भावुक होने से अवसादग्रस्‍त होने की समस्‍या बढ़ जाती है.उन्‍होंने बताया कि अध्‍ययन के दौरान पता चला कि लोगों में भावुक हो जाने से किस प्रकार परिवर्तन आता है. मोग्रेन ने बताया कि अध्‍ययन में महिलाओं और पुरुषों के अवसादग्रस्‍त होने की प्रक्रिया में कोई अंतर नहीं देखा गया.