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Showing posts from October 20, 2009

लो क सं घ र्ष !: भगवा आतंकवाद

मडगाँव धमाके में जिन चीजों का प्रयोग किया गया है , उसी तरीके से ठाणे , पनवल में भी हुआ था । मडगांव धमाके में राज्य सरकार के परिवहन मंत्री जो गोमांतक पार्टी के है , पत्नी का नाम भी आ रहा है । मालेगांव की घटना भी इससे जुड़ती है । समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में राजस्थान पुलिस व सी बी आई ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रणव मंडल समेत 4 से पूछ ताछ की है । यह संकेत देश के लिए हितकर नही है । देश में पनप रहे भगवा आतंकवाद और पाकिस्तान के तालिबानी आतंकवाद का मुख्य श्रोत्र अमेरिकन साम्राज्यवाद है और अमेरिका विरोधी मुख्य देश ईरान में रेवोलुशनरी गॉर्ड मुख्यालय पर आत्मघाती हमले में 49 लोगों की मृत्यु हो चुकी है । ईरान ने कहा है कि इस आत्मघाती हमले में पकिस्तान का हाथ है । पकिस्तान सरकार के पीछे अमेरिका का हाथ है । अफगानिस्तान व ईराक में अमेरिका अपनी कठपुतली सरकार चला ही रहा है । पकिस्तान में उसका वर्चश्व है ही . अमेरिकन साम्राज्यवाद चाहता यह है कि एशिया

ऑस्ट्रेलिया के पास मौजूद पापुआ न्यूगिनी का एक पूरा द्वीप डूबने वाला है।

भारत ग्लोबल वॉर्मिन्ग के लिहाज से हॉट स्पॉट है और इस वजह से यहां बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं। एशिया में भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया उन देशों में शामिल हैं, जो अपने यहां चल रही राजनैतिक, सामरिक, आर्थिक प्रक्रियाओं के कारण ग्लोबल वॉर्मिन्ग से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। किसी भी प्राकृतिक आपदा का प्रभाव कई कारकों के आधार पर मापा जाता है। मसलन सही उपकरणों और सूचना तक पहुंच और राहत और उपाय के लिए प्रभावी राजनैतिक तंत्र। कई बार इनका प्रभावी तरीके से काम न करना आपदा से प्रभावित होने वाले हाशिए पर पड़े लोगों की जिंदगी और भी बदतर कर देता है। मौसम में बदलाव के कारण ज्यादा बड़े स्तर पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र बनाया जाए, नही तो तबाही और ज्यादा होगी। घनी आबादी वाले और खतरे की आशंका से जूझ रहे इलाकों में सरकारी तंत्र और स्थानीय लोगों को सुविधाएं और प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि आपदा के बाद पुनर्वास के दौरान तेजी बनी रहे और काम की निगरानी भी हो। हमारी पर्यावरण चिंताओं पर यह निराशावादी सोच इतनी हावी होती जा रही है कि अब यह क

जागो पत्रकारों नही तो मिट जावोगे ......

जागो पत्रकारो : कोलकाता में एक राजनीतिक पार्टी द्वारा महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी की घटना सबके सामने एक सवाल खड़ा करती है... क्या बंगाल में पत्रकारिता संभव है? महिला पत्रकारों पर हमले के बाद भी कोलकाता की मीडिया के अंदर किसी तरह का तीव्र गुस्सा या आक्रामकता दिखने को नहीं मिला. पत्रकार अब पार्टीलाइन में बंट चुके हैं. यह पत्रकारिकता के लिए खतरनाक है. मीडिया ही अगर बंट जाये तो पत्रकारिकता कहां संभव है! इस बार तृणमूल कांग्रेस आम चुनाव में भारी मतों से जीती और 20 सांसदों को लोकसभा में ले जाने में कामयाब रही. इसके बाद से ही ममता बनर्जी का नारा है कि बंगाल में परिवर्तन हो. वो इसमें कामयाब हो भी रही हैं. वामपंथियों के 32 सालों से ज्यादा के राज के बाद ममता के परिवर्तन की हवा में आज पत्रकार भटक गए हैं. या फिर पावर और पोजीशन की भूख पत्रकारों को काम करने से रोक रही है. अक्टूबर 13 को '24 घंटा' चैनल की रिपोर्टर सोमा दास के साथ बदसलूकी और रेल मंत्री का सोमा पर हत्या का साजिश रचने का आरोप...और उसके बाद थाने में 4 घंटे तक पूछताछ...और फिर दूसरे दिन यानी 14 अकटूबर को कोमोलिका और प्रज्ञा को रे

कुछ काम करो...

चमकते चारो ने हंस के बोला ..हे मेरे प्रिय के वंशज उठो..तुम हमारे से ज्यादा इस धरा पर प्रकाश फैलाओ । जिससे तुम्हे यश प्राप्त हो॥ तुम यशश्वी हो ,संघर्ष शील हो॥ विवेकी हो,, बुद्धिमान हो। तुम चाहो तो आकाश को छू लो॥ तुम चाहो तो पाताल का पता लगा लो॥ तुम चाहो तो समुन्द्र की गहराई को नाप लो ॥ तुम चाहो तो मानव के मन को भाप लो॥ तुम चाहो तो नए नए आविष्कार कर सकते हो॥ क्यो की तुम्हारे अन्दर वे समस्त शक्तिया है । जो हमारे अन्दर नही है। हम केवल शाम से लेकर सुबह तक ही प्रकाश फैला सकते है। हमारी शक्तिया वही तक सिमित है । लेकिन तुम असीमित हो ॥ उठो इस धरा पर अपना नाम और अपने पूर्वजो का मान रोशन करो॥ तुम मानव वंश के वंशज हो॥ यश फैलाओ जहा में सारे॥ सारी खुशिया चूमे गी तुमको॥ तुम हो देवी दो को प्यारे॥ तुम्हे शक्तिया दान मिली है॥ उसका तुम उपयोग करो॥ अपनी प्यारी धरती माँ के॥ सीने पर मुस्कान भरो॥ तेरे मन की उत्कंठा ॥ जीवन भर जीने से हर्षित हो॥

खुद को कंगाल कर के आप बना रहे है सबको करोड़ पति

अभी तक आपने कौन बनेगा करोड़ा पति , फिर दस का दम , और अब सच का सामना जैसे बहुत से धनवान बनाने वाले कार्यक्रम देखे होगे. और सब की धुरी भी अर्थ ही है मतलब पैसा, जी हां हम सभी के मन में ये चाह अंकुरित होते रहती है .. की हम भी करोड़ पति बन जाये ..अब सुनिए एक और सच की आप और हम सभी बना रहे है करोड़ पति ..., करोड़ पति नहीं बल्कि दुनिया का सबसे धनि व्यक्ति जी हा हम ही बनाने जा रहे है दुनिया का सबसे धनि व्यक्ति. वर्ष २०१० में दुनिया का सबसे धनि कौन होगा आपके मन में यह सवाल आ ही गया होगा तो सुन लीजिये ऑरकुट का जनक उनका नाम है आरकुट ब्युक्कोटन वही उसके पिता है जो बनने जा रहे है दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति वो भी अपनी कम मेहनत और आपके ज्यादा सहयोग से. चौकिये मत आपके बूते और भी बहुत लोग चांदी काट रहे है और आप इंटरनेट का बिल भुगतान कर रहे है. ये लिखते समय ही एक इंटरनेट मित्र से मेरी बात हुई जिसमे उन्होंने बहुत ही विनम्रता से ये बात कही " मेरे पास ब्राड बैंड पल्स का प्लान है जिसमे १ जीबी स्पेस ही फ्री है सो रात में देखुगा. मतलब हम किस तरह अपनी सामर्थ से खुद की चादर के अपुरूप इंटरनेट का उपयोग कर के भ

धन हमें कहां ले जाता है!

इस संसार में सर्वाधिक प्रेम, स्वप्न, विवाद और फैंटेसी जिस चीज के इर्द-गिर्द घूमते हैं, वह है धन। धन सुख है, आराम है, धन खुशियों की राह खोलता है। धन बहुत कुछ है, लेकिन धन सबकुछ नहीं है। वह एक राह है, मंजिल नहीं, लेकिन राह भी कम महत्वपूर्ण नहीं होती। हमारे देश में पैसे को लेकर दो तरह के दृष्टिकोण नजर आते हैं। हम धन को बुरा भी कहते हैं और उसी धन की मन ही मन कामना भी करते हैं। एक तरफ तो वे हैं, जिनके पास अथाह धन है और वे निरंतर उस धन को दुगुना और तिगुना करने को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन वे अपनी संपत्ति दूसरों के साथ बांटना नहीं चाहते। इसी के परिणामस्वरूप समाज में धन को लेकर एक दूसरा दर्शन विकसित होता है, जो एक खास वर्ग को यह सिखाता है कि संतोषी सदा सुखी यानी संतुष्टि में ही जीवन का सबसे बड़ा सुख है। आपके पास धन नहीं है, संतोष करिए। अभाव है, संतोष करिए। एक व्यक्ति दोनों हाथों से दुनिया का सारा धन बटोरता जाता है और दूसरों को उपदेश देता है कि संतोष करो। इसी के साथ पूर्वजन्म और कर्मफल का दर्शन विकसित होता है। कोई भिखारी है तो यह उसके पूर्वजन्म के कर्मो का फल है। वे कहते हैं, धन की कामना ही ब