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Showing posts from April 29, 2010

इलेक्ट्रोनिक मीडिया का काम समझ में नहीं आता

आजकल एक चैनल दिनभर ब्रकिंग न्यूज ही दिखाता रहता है. समझ में तो ये नहीं आता कि ये न्यूज चैनल 'समाचारÓ किसे कहते हैं. समय समय पर मीडिया के रोल पर सवाल भी उठते रहते हैं. सवाल उठना भी वाजिब है. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि मैं प्रिंट मीडिया की नहीं मैं तो इलेक्ट्रोनिक मीडिया की बात कर रहा हूं. भारत में प्रिंट मीडिया का इतिहास कई दशक पुराना है लेकिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया अभी भी शैशवकाल में हैं. इलेक्ट्रोनिक मीडिया हमारे समाज के आइने के समान है. लेकिन पिछले 8 सालों में जितने भी इलेक्ट्रोनिक मीडिया खुले है. उससे तो एक बात साफ है कुछ को छाड़ दे तो सभी का काम पैसा कमाना ही है. आज मीडिया का काम पैसा कमाना ही है. आज मीडिया अपना असल काम ही भूल गई है. सानिया और शोएब की शादी ने जितने न्यूज बटोरे है और इस कंट्रोवर्सी को सभी न्यूज चैनल ने 24 घंटे दिखाया. लेकिन इस बीच दंतेवाड़ा में 80 से ज्यादा जवान शहीद हो गये तो किसी भी न्यूज चैनल ने ऐसी रिपोर्टिंग नहीं कि जैसी की जानी थी. आप ही बोलिए जितने समय में आपने सानिया-शोएब का ड्रामा देखा, जितने उनके बारे में जाना क्या आप दंतेवाड़ा में मारे गए शहीदों

लो क सं घ र्ष !: आजाद भारत है या गुलाम भारत ?

बाराबंकी में सफदरगंज पुलिस अफीम के लाईसेंस धारक माता प्रसाद मौर्या को उनके गाँव से पकड़ कर लायी और रुपया वसूलने के लिए उनकी जबरदस्त पिटाई की कि उनकी मौत हो गयी । उनके लड़कों को पुलिस थाने लाकर फर्जी मुक़दमे में चालान की तैयारियां शुरू कर दी । कल बाराबंकी कोतवाली में अपर पुलिस अधीक्षक व कोतवाल के बीच में सरेआम काफी कहासुनी हुई कोतवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक के मुखबिर का चालान एन . डी . पि . एस एक्ट में कर दिया अपर पुलिस अधीक्षक ने कोतवाल के मुखबिरों का चालान करा दिया । राजस्व विभाग के अधिकारी लोगों की जमीनों को विवादित कर गुंडों और मवालियों को कब्ज़ा कराने का कार्य कर रहे हैं । आम नागरिक करे तो क्या करे वस्तुगत स्तिथियों को देखने के बाद अब संदेह होने लगता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं या ब्रिटिश कालीन भारत के नागरिक हैं । ब्रिटिश कालीन भारत में भी राज्य द्वारा नागरिकों का उत्पीडन होता था । लोकतान्त्रिक आ

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं, सादर प्रणाम, आज दिनांक २८.०४.२०१० को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट - ब्लोगोत्सव-२०१० : ऑनलाइन विश्व की आजाद अभिव्यक्ति है ब्लोगिंग http://www.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_27.html हिंदी ब्लोगिंग के संवंध में क्या कहते है बालेन्दु शर्मा दाधीच ब्लोगोत्सव-२०१० :दर्पण का कार्य तो वस्तु का बिम्ब प्रदर्शित करना है http://www.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_9207.html के० के० यादव का आलेख बदलते दौर में साहित्य रहस्य: हम किसी चीज़ को किसी जगह पर देखते हैं तो वह वास्तव में ‘उस जगह’ पर नहीं होती http://www.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_28.html क्या हम अपना भविष्य देख सकते हैं? ब्लोगोत्सव-२०१० : आज हम लेकर आये हैं श्यामल सुमन की ग़ज़ल http://www.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_1222.html श्यामल सुमन की ग़ज़ल : अच्छा लगा ब्लोगोत्सव में आज हम लेकर आये हैं संजीव वर्मा सलिल, ललित शर्मा और रवि कान्त पांडे के गीत http://www.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_9611.html संजीव