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Showing posts from May 6, 2009

बिल्ली की छींक से छीका टूटा

अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् । उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम ॥ - हितोपदेश / पंचतंत्र यह अपना है , यह पराया - ऐसा विचार छोटे ह्रदय वाले लोग करते है । उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए समस्त संसार ही एक परिवार है । ---------------------संस्कृत लोकोक्ति कोश संपादक-डॉक्टर शशि तिवारी संस्करण -१९९६ प्रकाशन विभाग -सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार यह श्लोक पंचतंत्र और हितोपदेश से है न की मनुस्मृति से -सुमन -loksangharsha
मानसिक गुलामी (भाग-१) कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं का स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व व पश्चात् का अतीत यही प्रर्दशित करता है कि उनको भारतीय लोगों और भारतीय विरासत में विश्वास के अभाव का रोग है। उनकी आत्महीनता ने उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए देश से बाहर तकते रहने की आदत डाल दी है । परिणामस्वरुप देश के इतिहास और परम्पराओं में से उद्धृत एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण के स्थान पर ये विदेशों से विचार , सिद्धांत और व्यक्तिओं को अपने प्रतिनिधित्व और अपनी सुरक्षा के लिए आयात करते हैं। खिलाफत को संचालित करने के लिए परामर्श हेतु ,वेरिओर एल्बिन , उद्योगों के लिए रुसी प्रारूप आदि-आदि कांग्रेस पार्टी का पर- राष्ट्रों से विचार ,नीति और नेताओ (सोनिया गाँधी ) के आयात का प्रमुख संदेश है । इन सब को देख कर यही निष्कर्ष निकलता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके अनुयायिओं के पास अपना कोई राष्ट्रवादी दृष्टिकोण , कोई नजरिया नही है । वे आज भी भारत राष्ट्र को एक औपनिवेशिक शासन के रूप में समझते हैं जिसे यूरोप वालों की जगह भारतवासी चला रहे हैं। परन्तु जब भारत के लोगों ने एक स्वर से यूरोप द्वारा थोपी , इस व्यवस्था को नकार द