सलीम अख्तर सिद्दीकी
फरवरी 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसासटी में हुए नरसंहार के सिलसिले में विशेष जांच दल ने पूछताछ के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को 21 मार्च को विशेष जांच दल के सामने पेश होने के लिए समन जारी किया है। भारत के इतिहास में यह पहला मामला है, जिसमें किसी सिटिंग मुख्यमंत्री को किसी आपराधिक मामले में पुलिस ने समन जारी किया है।
इस समन के जारी होने के बाद नरेन्द्र मोदी को शर्म आनी चाहिए थी। अच्छा होगा कि वे अपना पद छोड़कर विशेष जांच दल के सामने जाएं। लेकिन वे ऐसा करेंगे नहीं, क्योंकि अतीत में यही होता आया है कि जब भी किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्था ने उनकी आलोचना की, उसे हिन्दू विरोधी कहकर अपना जनाधार मजबूत किया। यहां तक हुआ कि हिन्दुओं के वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए उन्होंने मुसलमानों को हर तरीके से सताया। राहत शिविरों को बहुत जल्दी बंद कर दिया था। दंगा पीड़ितों को कुछ सौ रुपए की मुआवजा राशि देकर उनके जले पर नमक छिड़का गया था। गुजरात में एक अलिखित कानून बना दिया गया कि कोई भी मुसलमान सरकारी सहायता की उम्मीद न क