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Showing posts from March 12, 2010

यास्मीन की कला में समाया कण्डोम

सतीश सिंह यास्मीन एक तो मुस्लिम औरत हैं ऊपर से बिहार जैसे परंपरागत राज्य के पिछड़े हुए गांव में रहती हैं. लेकिन यास्मीन जो काम कर रही है वह तथाकथित आधुनिक और सभ्य समाज की भी किसी महिला के लिए शायद ही संभव हो. अपने मधुबनी कला के जरिए सेक्स शिक्षा का संदेश दे रही है. उनकी ही तर्ज पर मधुबनी की कुछ और महिला कलाकार कला को नयी परिभाषा दे रही हैं. हमारे समाज में सेक्स को वर्जित माना जाता है और शारारिक जरुरतों की अवहेलना की जाती है। दरअसल जीवन को संपूर्णता में जीने की कोशिश कोई नहीं करना चाहता। यौन कार्यकलापों को अश्लीलता की श्रेणी में रखा जाता है। इसका मूल कारण है हमारी सभ्यता और संस्कृति, जो हमें उन्मुक्त एवं स्वछंद होने से रोकती है। इस पूरे कवायद में हम इतने शालीन हो जाते हैं कि कंडोम और अन्यान्य जरुरी ऐतिहातों को बरतना ही भूल जाते हैं। आज सेक्स से जुड़ी समस्याओं पर बात करने के लिए कोई तैयार नहीं है। इस संबध में सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम भी नाकाफी हैं। इसी अधूरे काम को करने का बीड़ा उठाया है बिहार की कुछ ग्रामीण महिला कलाकारों ने की जिसमें उत्तर बिहार की रहनेवाली यास्मीन भी शामिल

लो क सं घ र्ष !: वादा लपेट लो, जो लंगोटी नहीं तो क्या ?

अर्थ शास्त्रियों ने हमारी जरूरतों को तीन भागों आवश्यक आवश्यकताओं, आरामदायक तथा विलासिताओं में बांटा है। आवश्यक में खाना, कपड़ा, मकान मुख्य है। मैं अक्सर शहरी एवं ग्रामीण बस्तियों से गुजरा और देखा कि झोपड़ियों से टी0वी0, रेडियों द्वारा प्रसारित प्रोग्राम की आवाजे आ रही हैं तथा युवाओं के हाथों में मोबाइल सेट हैं मेरे मन में इस प्रगति के प्रति कोई विरोध नहीं है, मानवता के आधार पर अमीर गरीब समान हैं, परन्तु आश्चर्य इस बात पर हुआ कि इन आदमियों में खेलने वाले बच्चे अधिकतर कुपोषित थे तथा कपड़े तक मयस्सर नहीं थें, शायद ये लोग ग्लैमरस जिन्दगी की चकाचौंध का शिकार हो गये, इनकी जेब कम्पनियों ने काट ली और ये प्राथमिकताएं तय करने में गलती कर बैठे। आवश्यकताओें में खाने का पहला नम्बर है, इनमें अनाज सब से मुख्य है। गरीब को रोटी चाहियें, परन्तु हमारी खाद्य नीति ने गरीब को भूखा मरने पर मजबूर कर दिया। लगता है हमारे केन्द्रीय खाद्य मंत्री शरद पवार के भी कुछ निहित स्वार्थ थे जिसके कारण उन्होंने आयात निर्यात का मकड़जाल फैलाकर कुछ बड़ों को शायद फायदा पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने अक्सर ऐसे विरोधाभासी बयान दिय