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Showing posts from February 13, 2009

कैसे करूँ इज़हार

आंखों में हया उसकी होंठों पर मुस्कान याद दिलाती है उसकी बेकरारी मेरी सताती है तडपाती है कैसे करूँ इजहारे दिल कैसे करूँ इकरारे प्यार गुलाब दूँ ख़त लिखूं या मेरे खुदा कोई और रास्ता बता दे॥ ज्ञानेंद्र हिंदुस्तान, आगरा rastey2manzil.blogspot.com

संकट के समय भगवान

विनय बिहारी सिंह एक अत्यंत छात्रा को दसवीं कक्षा की परीक्षा देनी थी। उसे तो भोजन के ही लाले पड़े थे। फीस कहां से देती। साल भर की फीस बाकी थी। इसके अलावा एक जरूरी किताब भी खरीदनी थी। फार्म भरने की फीस भी देनी थी। कुल राशि करीब ५०० रुपए बैठ रही थी। यह लड़की के लिए पहाड़ जैसा धन था। उसके मां- बाप महीने में १० दिन मजदूरी करते तो किसी तरह पेट चल जाता था। लड़की ने सोचा अब तो वह परीक्षा में नहीं बैठ पाएगी। सारी तैयारी बेकार ही है। वह दिन रात भगवान को याद करने लगी- हे भगवान तुम्हीं इस संकट से उबार सकते हो। तुम्हीं मेरी नैया पार लगा सकते हो। क्या मैं परीक्षा में नहीं बैठ पाऊंगी? कुछ करो भगवान, मेरे ऊपर कृपा करो। जिस दिन सभीबच्चे प्रवेश पत्र लेने जा रहे थे, लड़की गुमसुम बैठी थी। तभी उसके घर एक अन्य लड़की आई और बोली- प्रवेश पत्र लेने चलोगी नहीं? वह बोली- मैं तो फीस जमा नहीं कर पाई। प्रवेश पत्र कैसे मिलेगा? उसे उसके घर आई लड़की ने बताया- तुम्हें पता नहीं है, शैलजा मैम ने तुम्हारी पूरी फीस भर दी है और तुम्हारे लिए एक सेकेंड हैंड पुस्तक भी उन्होंने ले रखी है। लड़की तो भौंचक रह गई। यह क्या? उसकी खुशी

पप्पी झप्पी और नकली जनता, तभी तो इनका काम बनता

पप्पी ,झप्पी और नकली जनता तभी तो इनका काम बनता एक रियलिटी शो मे एक बड़े संगीतकार , गायक, और अभिनेता को एक अन्य संगीत के साथ वास्ता रखने बाले के साथ झगड़ते देखा ...लड़की काफी जोर की हुई थी ..माहोल गर्म था मैंने सोचा की अब बह टकला और बेसुरा गायक उस दुसरे गायक से बात भी नहीं करेगा लेकिन २ दिन बाद की दोनों एक जगह स्टेज पर गा रहे थे साथ ही साथ नाच रहे थे ,,मैं इसकी तह मैं गया की आखिर इतने जल्दी सुलह कैसे हो गयी ....पता चला की बह लडाई झूटी मूटी थी ..यह तो शो बालों का ही कारनामा था शो हित करने के लिए ....बात और आगे गयी तो पता चला की जिस एंकर को एक लड़की ने पप्पी ली थी ब ह भी झूटी मूटी थी और उस खून चूसने वाले अभिनेता की पप्पी भी सिर्फ एक सैम्पल थी ..हां उसको जो मजा आया था बह असली रहा होगा !!!बात निकली थी तो दूर तक तो जाने ही थी मैं एकः जब ये सब योजना के तहत होता है तो जनता देखने आती ही क्यों है ...महाशय हस पड़े कौन सी जनता ...वो जनता तो खुद नकली है जो शो देखने के पैसे लेती है ..क्योंकि १ घंटे के शो की रिकॉडिंग मे ८ घंटे लगते है किसी जनता के पास इतना टाइम नहीं होता सो पैसे देकर ही बुलाना पड़ता ह

आमंत्रण

पिंक चड्डी वाले शर्मनाक आन्दोलन ... के विरोध में YUVA - Youth Unity for vibrant action॥ आज सुबह १० बजे दिल्ली विश्वविद्यालय , आर्ट्स फैकल्टी, विवेकानंद मूर्ती के सामने अपना विरोध प्रकट करने के लिए हजारों के संख्या में एकत्रित होने जा रहा है। आप सभी राष्ट्रवादी चिंतकों से अनुरोध है की इस विरोध यात्रा में सम्मिलित हो कर , ऐसे पतित विरोध प्रदर्शन की कायावाद को लगाम दें ! संपर्क करें कनिष्क कश्यप 9711411023

चड्डी की हड्डी गले नही उतरती

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ पब से बहार किया तो तुमने चड्डी उतारी, गर कल पब जाने से रोक देंगे तो चड्डी पहनना ..... पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से चिट्ठाजगत इस पिंक चड्डी में समां गया लगता है। मुझे ज्यादा तो नही कहना, पर क्या करूं, लिखने को विवस हो गया। पहली बार मुझे लिखते हुए लेखनी और पत्रकारिता को पेशे के रूप में चुनने का अफ़सोस हो रहा है, बेहतर होता मैं अभियांत्रिकी में ही विकल्प तलाशता।पहले तो हमें यह समझना चाहिए की हमारा कोई भी कदम , हमारी स्वयं की सोच, अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता का घोतक है ऐसा मानकर हम मनुष्य कहलाने के अपनी निम्नतम निकृष्टता को छू लेते हैं। अआप आज जहाँ भी है, उसके पीछे आपके समाज , परिवार और पूर्वजों का कितना योगदान रहा है इसे नकार नही सकते। अगर koi इस अथ्य को नज़रंदाज़ karta हैं तो आपसे यह उम्मीद करना ग़लत नही होगा कि वो कल अपने बहन से शादी न कर ले। क्यों कि उसके लिए नैतिकता का क्या अर्थ ? उसे तो सिर्फ़ अधिकार और इक्षा कि भाषा समझ में आती है और वो बाजारवादी ,कल यह तर्क आराम से रख सकता है कि "जब अच्छी गुणवता और "ओके टेस्टेड माल " अपने गोदाम में है