अन्नु भरि- भरि गे धानन की बाली मा , पिया पैंजनिया लैदे दीवाली मां । खैहैं मोहनभोग सोने की थाली मां , मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां । तुम तो खुरपी - कुदरिनि मां ढ़ूंढ़ौ खुशी, रोजु हमका चिढ़ौती है हमरी सखी, चाव रहिगा न तनिकौ घरवाली मां , पिया पैंजनिया लैदे दीवाली मां । हाय जियरा दुखावौ न मोरी धनी, जड़वाय लियौ मुंदरी मां हीरा कनी, जगमगाय उठौ बखरी मां गाली मां, मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां । झूमि-झूमि उठै धरती मगन आसमां, खूब फूलै फलै देश आपन जहाँ, प्रेम के फल लदै डाली-डाली मां । अन्नु भरि- भरि गे धानन की बाली मां, मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां। -डॉक्टर सुरेश प्रकाश शुक्ल लखनऊ