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Showing posts from May 21, 2010

लो क सं घ र्ष !: कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक........

राजनैतिक पार्टियाँ भी वोट लेने के लिये क्या-क्या हथकंडे अपनाती है, कभी नारे गढ़ती हैं, कभी बड़े-बड़े वादे करती हैं, कभी पिछली प्रगति के झूठे प्रचार करती है, कभी लुभावने घोषण पत्र छपवाती हैं, और कभी व्यक्ति-विशेष को प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाती हैं। कुछ शब्द-जाल देखिये गरीबी मिटाओं, मेरा भारत महान, इन्डिया शायनिंग। चुनाव के बाद घोषण-पत्रों को न तो कोई उठा कर देखता है, न ही सरकार से जनता पूछती है कि वे काम कब होंगें जिनका वादा किया था, चुनाव के समय वोटों के ध्रुवीकरण हेतु अडवाणी, मुलायम, मयावती को प्रधानमंत्री का प्रोजेक्ट किया गया। बहुजन वालों नें सर्वजन की बात शुरू कर दी। कभी जिसने यह कहा था कि तिलक, तराजू और तलवार- इनको मारों जूते चार, उसनें बाद में इस नारें से अपना हाथ खींच लिया। यू0पी0 की सत्ताधारी पार्टी की बातों पर ग़ौर करें- तीन वर्ष पूर्व जब चुनाव में उतरी और जीती तब उसका नारा यह था- चढ़ गुंडन की छाती पर- मुहर लगा दो हाथी पर। अब तीन वर्ष बाद यही पार्टी जिसने गुंडो को खुली छुट दे दी थी, उनसे पल्ला झाड़ती नज़र आती है। जब यह देखो कि पार्टी के कुछ गुंडो विधायक सांसद

घर घर में हो रहा है 'सच से सामना'

घर घर में हो रहा है 'सच से सामना' अर्जुन शर्मा "मेरा बच्चा हाथ से निकलता जा रहा है। कुल जमा सोलह साल का है पर मुझे पता है कि वो ड्रग्स लेने लगा है। उसकी हर जिद पूरी करते हुए मुझे लगा करता था कि जो कुछ कमा रहा हूं, इन्हीं बच्चों का ही तो है। मैने उसे मोबाइल भी ले दिया और स्कूटी भी। देखता हूं कि पता नहीं किसके साथ रात-रात भर बातें करता है।" "उसके चेहरे पर दो साल पहले तक बहुत नूर हुआ करता था पर अब पता नहीं कैसा विचित्र सा रूखापन उसके चेहरे और स्वभाव में आ चुका है। मैं ये सोच सोच कर हलकान हो रहा हूं कि जिस परिवार की सुख शांति समृद्धि के लिए कारोबार में क्या कुछ नहीं किया, उसी पैसे ने मेरे परिवार व मेरे मन की शांति को आग लगा दी है।" ये व्यथा मेरे लुधियाना स्थित एक उद्योगपति मित्र की है जिसका नाम यहां देना उसे सारे जमाने में रुसवा करने जैसी बात होगी। वैसे भी इस प्रकार की अवस्था झेल रहे वे अकेले नहीं हैं। पिछले बीस साल से बदलाव की जो बयार बह रही है, संचार माध्यमों में जिस प्रकार क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं उस दौर ने हमारी जीवनशैली में बदलाव तो किया है पर एक हकीकत