Skip to main content

Posts

Showing posts from April 5, 2009

दोहे : आचार्य संजीव 'सलिल'

आरक्षण ने कर दिया, नष्ट स्नेह-सद्भाव। राजनीति विष-वल्लरी, फैलाती अलगाव।। प्रतिभाएं कुंठित हुईं, बिन अवसर बेचैन। सूरदास ज्यों फोड़ते, मृगनयनी के नैन॥ आरक्षण धृतराष्ट्र को, पांडव को वनवास। जब मिलता तब देश का , होता सत्यानास॥ जातिवाद के नाग का, दंश बन गया मौत। सती योग्यता को हुई, जाट तवायफ सौत॥ हीरा पड़ा बजार में, कांच हुआ अनमोल। जन-सेवा वृत्त-तप गया, सत्ता-सुख-लाख दोल। ***********

भारत का वसीम अकरम...जहीर

मनीष कुमार असिस्टेंट प्रोड्यूसर दोनों बाएं हाथ के गेंदबाज। दोनों ही तेज गेंदबाज। दोनों का एक जैसा अंदाज, एक जैसा जोश और एक जैसा ही जज्बा। एक वसीम अकरम तो दूसरा जहीर खान। वैसे वसीम अकरम से जहीर खान की तुलना तो बेमानी होगी लेकिन हाल के दिनों में जहीर ने जिस तरह गेंदबाजी की है वो अकरम से कम नहीं है। आज से करीब 9 साल पहले जब जहीर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था तो लोग उनकी तुलना वसीम अकरम से करने लगे थे। लेकिन कुछ साल बाद ही जहीर की गेंदों की धार खत्म हो गई। ऐसा लगा कि उनके करियर का अस्त हो गया है। साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका दौरे के बाद जहीर का अलग रूप देखने को मिला। उन्होंने अपनी गेंदबाजी से एक बार फिर अकरम की याद दिला दी। - मौजूदा दौर में जहीर, अकरम की तरह गेंद को विकेट के दोनों और स्विंग करा सकते हैं। - गेंद पुरानी हो या नई, उन्हें अकरम की तरह कोई फर्क नहीं पड़ता। - जहीर तेज गेंदों के साथ-साथ स्लोअर गेंदों का भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं। - अकरम ने दुनिया की हर पिच पर शानदार गेंदबाजी की। वही हाल इन दिनों जहीर का है। वो चाहे भारतीय उपमहाद्वीप की बेजान विकेट हो या फिर ऑस्ट्रेलिया,

बन्दे-मातरम्......बन्दे-मातरम्.....!!

Sunday, April 5, 2009 बन्दे-मातरम्,,,बन्दे-मातरम्....,!! ".......... गीता पर हाथ रखकर कसम खा कि जो कहेगा , सच कहेगा , सच के सिवा कुछ नहीं कहेगा " " हुजुर , माई बाप मैं गीता तो क्या आपके , माँ - बाप की कसम खाकर कहता हूँ कि जो कहूँगा , सच कहूँगा , सच के सिवा कुछ भी नहीं कहूँगा ...!!" " तो बोल, देश में सब कुछ एकदम बढ़िया है ...!!" " हाँ हुजुर , देश में सब कुछ बढ़िया ही है !!" " यहाँ की राजनीति विश्व की सबसे पवित्र राजनीति है !!" " हाँ हुजुर , यहाँ की राजनीति तो क्या यहाँ के धर्म और सम्प्रदाय बिल्कुल पाक और पवित्र हैं , यहाँ तक की उनके जितना पवित्र तो उपरवाला भी नहीं ....!!" " हाँ .... और बोल कि तुझे सुबह - दोपहर - शाम और इन दोनों वक्तों के बीच भर - पेट भोजन मिलता है !!" " हाँ हुजुर , वैसे तो मेरे बाल - बच्चे और मैं और मेरी पत्नी हर शाम भूखे ही रहते हैं , लेकिन आप कहते हैं तो बताये देता ह

आज की राजनीति ... सेवा न होकर गन्दा व्यवसाय हो गया

आज की राजनीति ... घिन आती है । कोई विचारधारा नही , कोई मकसद नही .... सेवा न होकर गन्दा व्यवसाय हो गया है । साफ़ सुथरा व्यवसाय होता तो भी ठीक था । सेवा की बात तो करना बेमानी है । यह गन्दा व्यवसाय है जिसमे लेन देन का कोई नियम नही । केवल लूट खसोट है ... बेईमानी है । यही कारण है की घिन आती है । लोग कहते है की युवाओं को आगे आना चाहिए ... बिल्कुल आगे आना चाहिए । केवल युवा ही क्यों , हर अच्छे आदमी को आना चाहिए । अफ्शोश वह कोई सेलेक्सन का प्रोशेष तो है नही । किसी भी बाहरी आदमी को अछूत समझा जाता है । उन्हें हटाने के लिए किसी हद तक हमारे आदरणीय नेता जा सकते है । न तो आदर्श है, न सोच है, न उसूल हैं और न ही कोई विचारधारा है। जो अजेंडा चुनाव से पहले जितने जोर-शोर से प्रचारित किया जाता है, चुनाव के बाद उसका कहीं नामोनिशान नहीं मिलता। चुनाव से पहले तमाम वादे किए जाते हैं। लोगों की समस्याओं को खत्म करने के इरादे जाहिर किए जाते ह

हमें शिकायत करने का हक नहीं हैं.....!!! भाग - १

लो कसभा के चुनाव आ रहे हैं , आगे पढ़े लागु हो गई है ... हर पार्टी अपने - अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है जिनको टिकट मिल गया है या मिलने वाला है उन्होंने लोगो के पास चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं वोटो के लिए । लेकिन जब भी चुनाव आते हैं हमारे पास शिकायतों के भण्डार निकल आते हैं की यह नहीं किया , वो नही किया , जो किया था तो वो बेकार हो गया , उसका रखरखाव नही किया ....... हमें यह सब शिकयेते करने का हक नहीं है क्यूंकि इन सब चीजों के जिम्मेदार हम लोग हैं और कोई नहीं हैं । कभी अपने आप से पुछा हैं की तुम कितने नियमो का पालन करते हो ? तुमने अपने अलावा कभी किसी के बारे मे सोचा है ? हम हमेशा नियम तोड़त हैं , कानून को तोड़ते हैं और सरकार पर इल्जाम लगाते है की उन्होंने क़ानून की कमर तोड़ दी है जबकि ऐसा कुछ नहीं हैं । हम मे से कितने लोग हैं जो सड़क पर चलते वक्त सारे कानूनों