पुरानी कहावत है दोस्तों - लंठ न छोडे लंठई , कोटिक मिले अलंठ । इसका सीधा सा तात्पर्य है की लंठ अपनी लंठई कभी नही छोड़ता, भले ही उसे सही लोग मिले। ये फार्मूला इस समय भारत , पाकिस्तान और अमेरिका पर लागु किया जाए तो नज़ारा कुछ इस तरह का बनता है। सबसे बड़ा लानत कौन ? हमारी सरकार। लंठई कौन कर रहा है? पाकिस्तान सरकार । सबसे बड़ा लंठाधिराज कौन ? अरे वही जूते खाने वाला अमेरिका। अब आप ही देखिये कुछ पाकिस्तानी सरफिरों की बाबत मुंबई में आतंकियों ने खून बहाया। एक जिन्दा एविडेंस भी हमारे पास है जो बार-बार जोरदार तरीके से अपने पाकिस्तानी होने का सबूत दे रहा है। हमारी सरकार इतनी लंठ हो गई है की सरे सुबूत लेकर पाकिस्तान की बजाये वॉशिंगटन जा रही है। पाकिस्तान सरकार तो नाडा खोलकर लंठई करने पर उतारू है और हो भी क्यों न उसे पता है की लंठों से कैसे निबटा जाता है। क्योंकि वह ख़ुद सबसे बड़ी लंठई करता रहा है। अब देखिये लंठाधिराज क्या कर रहे हैं ? जैसे ही इनको पता चला की एक लंठ ने घोर लंठई कर डाली तो तुंरत इसने लंठ्रानी राइस को लंठ नगरी का दौरा करने भेज दिया। गुमगिन माहौल में भी लंठ्रानी का अभूत पूर्व स्वागत किया