मुंबई और महाराष्ट्र अगर केवल मराठियों के लिए है तो फिर मेलबोर्न और सिडनी में भारतीय छात्रों के साथ होने वाली नस्लीय हिंसा को लेकर इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है? हम अपने ही देश में पनप रहे क्षेत्रीय नस्लवाद के विरोध में केवल खीसों में मुट्ठियां भींच रहे हैं पर ऑस्ट्रेलिया को बहादुरी के साथ धमकियां रवाना कर रहे हैं कि अगर भारतीयों के खिलाफ हिंसा नहीं रुकी तो दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो सकते हैं।ऑस्ट्रेलिया को लगातार चेतावनी देने वाले देश के वर्तमान विदेशमंत्री केवल कुछ महीनों पहले तक ही महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। और देश को जानकारी है कि मुंबई की सड़कों पर जब उत्तर भारतीय नागरिकों को क्षेत्रवादी हिंसा का निशाना बनाया जा रहा था तब दिल्ली में बैठे राजनेता उसे रोकने के लिए केवल बयान जारी करने से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे। बाहरी मुल्क से आकर मुंबई पर हमला करने वाले सशस्त्र आतंकवादियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है और इसके लिए देश ने पाकिस्तान के साथ पूर्व में जारी द्विपक्षीय संवाद को भी दांव पर लगा दिया है, पर उसी महानगर में क्षेत्रीय अस्मिता के नाम पर जो राजनीतिक बा